देवों की दीपावली, जिसकी कहानी त्रिपुरासुर के संहार से जुड़ी है, तब शिव को त्रिपुरारी नाम मिलते ही देवता धरती पर उतर आए थे। इस देव दीपावली पर 25 लाख दीयों को जलाने की तैयारी है। देखने के लिए 40 से ज्यादा देशों के लोग वाराणसी पहुंच चुके हैं। देश के कोने-कोने से 20 लाख टूरिस्ट इस आयोजन के गवाह बनेंगे। काशी में 5 नवंबर को होने वाले 4 घंटे के मेगा शो को देखने के लिए घाट से सटे होटल में 1 रात का स्टे 1.5 लाख तक पहुंच गया है, ये लग्जरी रूम 2024 में 80 हजार रुपए में बुक हुए थे। गंगा नदी के किनारे आदि केशव घाट से संत रविदास घाट तक और वरुणा नदी के तट से लेकर मठों-मंदिरों तक कुल 25 लाख दीये जगमगाएंगे। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली दीपावली ऑपरेशन सिंदूर की थीम पर होगी। 3 नवंबर से लेजर शो के रिहर्सल शुरू हो गए हैं। PM मोदी देव दीपावली को ऑनलाइन देखेंगे, वो वर्चुअली नहीं जुड़ेंगे। CM योगी गंगा नदी में क्रूज पर बैठकर ये आयोजन देखेंगे। उनके साथ चीफ गेस्ट कौन होगा? ये एडमिनिस्ट्रेशन ने अभी सार्वजनिक नहीं किया है। देवताओं की दीपावली को देखने के लिए आपको नाव कहां से मिलेगी? वो क्या दिखाएगी? होटल के टैरिफ कितने महंगे हो चुके हैं? इसको करीब से समझने के लिए दैनिक भास्कर टीम ने अलग-अलग घाटों पर नाविकों और इवेंट को मैनेज करने वालों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट…  पहले नाव की बुकिंग को 4 सवालों में समझिए सवाल. कितने तरह की नाव होती हैं? नाव बुकिंग के लिए कितना खर्च होगा? कितनी देर सैर कराएंगी।  जवाब. प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से 700 छोटे बजड़े (नाव) बंद कर दिए हैं। इसकी वजह से बाकी नावों के बुकिंग रेट बढ़ चुके हैं। इन नावों को पूरे इवेंट के लिए बुक किया जा रहा है। ये इवेंट शाम 5.30 बजे से शुरू होकर 4 घंटे तक चलना है। इस वक्त गंगा के घाटों पर नावों की स्थिति कुछ इस तरह से है- सवाल. बजड़े में बैठने के बाद टूरिस्ट को कौन सी सुविधाएं दी जा रही हैं?  जवाब. अस्सी घाट पर गोरखपुर के नाथ साहनी ने बताया, देव दीपावली के लिए नाविकों ने भी खास इंतजाम किए हैं। नावों का नए सिरे से रंग रोगन हुआ है। LED लाइट से सजाया गया है, जो टूरिस्ट नाविकों से संपर्क करने आ रहे हैं, उन्हें घाटों के दीपोत्सव से लेकर आतिशबाजी और लेजर शो दिखाने का पूरा पैकेज बुक किया जा रहा है। नाविक नाव पर ही फ्री पानी और लंच देंगे, ताकि टूरिस्ट को परेशानी न हो। इस बार क्रूज में एक गाइड भी मौजूद रहेगा, जो काशी गंगा घाटों के बारे में टूरिस्ट को बताएगा। सभी को लाइव जैकेट पहनाया जाएगा। सवाल. टूरिस्ट कहां से बैठेंगे, इवेंट के बाद उन्हें कहां छोड़ा जाएगा?  जवाब. नाविक टूरिस्ट को कुछ मेन घाट से ही बैठाएंगे। ये अस्सी घाट, पांडेय घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट, रविदास घाट, तुलसी घाट, केदार घाट और नमो घाट है। 4 घंटे बाद जिस टूरिस्ट को जहां से बैठाया गया था, वहीं पर ड्राप किया जाएगा। नाव 3 जगह पर रुकेंगी। पहले- दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती दिखाएगी। दूसरा- चेत सिंह किले के सामने लेजर शो दिखाएगी। तीसरा- बाबा विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने आतिशबाजी दिखाएगी। सवाल. क्या देसी क्रूज की बुकिंग ऑनलाइन भी हो रही है?  जवाब. नहीं, कोई वेबसाइट तो नहीं है, मगर सोशल मीडिया अकाउंट पर नाविकों ने अपने मोबाइल नंबर और पेमेंट के लिए QR कोड वाले बार कोड भेज रखेंगे। अब होटल, गेस्ट हाउस और होम स्टे की बुकिंग को समझिए काशी के होटल हाउसफुल हुए
वाराणसी में बड़े-छोटे करीब 500 होटल हैं। 450 गेस्ट हाउस, 250 लाउन्ज और 500 से ज्यादा पेइंग गेस्ट हैं। फिलहाल कहीं भी ठहरने की जगह नहीं है। इस बारे में टूरिज्म वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राहुल मेहता कहते हैं- देव दीपावली को देखते हुए लोगों ने पहले ही अपने ठहरने के लिए जगह रिजर्व कर ली है। ज्यादातर होटल 4, 5, 6 तारीखों में हाउस फुल हैं। जहां कमरे खाली भी हैं तो वहां रेट बहुत ज्यादा है।  सबसे महंगा सूइट 1.5 लाख रुपए में बुक हुआ 
गंगा नदी के घाटों के करीब स्थित होटलों की बुकिंग सबसे हाई डिमांड में है। 2 से 5 सितारा होटलों का स्टे नार्मल दिनों से कई गुना महंगा हो चुका है। यहां कमरे 50 हजार रुपए से ज्यादा में बुक हुए हैं। वाराणसी में लग्जरी होटल नदेसर पैलेस और ब्रजरामा में 75 हजार रुपए में रूम बुक हुए हैं। 4 और 5 स्टार होटलों में कमरों के रेट 25 हजार रुपए तक हैं। 1 से 3 स्टार वाले होटल 10 हजार रुपए तक बुक हुए हैं। वहीं, सूइट पैकेज का किराया 1.5 लाख रुपए तक चला गया है। ज्यादातर बुकिंग 4 नवंबर की शाम से 5 नवंबर की सुबह हुई हैं। जहां कमरे बचे हैं, उनके टैरिफ आसमान छू रहे हैं। 800 रुपए में बुक होने वाला रूम अब 8-10 हजार रुपए में बुक हो रहा है। 25 लाख दीये जगमगाएंगे
वाराणसी एडमिनिस्ट्रेशन देव दीपावली–2025 में 10 लाख दीये जलाएगा। सामाजिक संगठन और NGO मिलकर घाटों पर 11 लाख दीये सजाएंगे। इसके अलावा वरुणा तट, मठ-मंदिरों में 4 लाख दीये जलाए जाएंगे। इस तरह से लगभग 25 लाख दीये देव दीपावली पर पूरी काशी में जलेंगे। यह दीये वाराणसी के साथ ही पूर्वांचल के कई जिलों के कुम्हारों से मंगवाए गए हैं। लेजर शो में शिव-पार्वती विवाह से लेकर BHU की गाथा दिखेगी
डमरू और शंखनाद से काशी कथा के थ्रीडी शो की शुरुआत होगी। शो में भगवान शिव-पार्वती विवाह का दृश्य, भगवान विष्णु के चक्र पुष्करिणी कुंड की कथा, भगवान बुद्ध के धर्मोपदेश, संत कबीर और गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति परंपरा दिखेगी। आधुनिक युग में महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित बीएचयू की गौरवशाली यात्रा को दिखाया जाएगा। 25 मिनट के लेजर शो को लोग नावों पर बैठकर देख सकेंगे। श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार के सामने रात 8 बजे से ग्रीन आतिशबाजी होगी। घर से देव दीपावली कैसे देखें
देव-दीपावली महोत्सव की महाआरती और पूरा आयोजन यूट्यूब चैनल पर लाइव देखा जा सकता है। श्रद्धालु https://www.youtube.com/@ga ngaaartigangasevanidhi2261 पर घर बैठे भी देव-दीपावली महोत्सव में होने वाली महाआरती देख सकते हैं। अब देव दीपावली की मान्यता जानिए... काशी की देव दीपावली का जिक्र पुराणों में मिलता है। मान्यता है कि देव दीपावली पर काशी में उत्तरवाहिनी गंगा के अर्धचंद्राकार 84 से ज्यादा घाटों पर देवता स्वर्ग से आते हैं और दीपावली मनाते हैं। मान्यता 1. जब शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया महाभारत के कर्णपर्व में त्रिपुरासुर वध की कथा है। इसके मुताबिक, तरकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली नामक तीन राक्षस भाई त्रिपुरासुर राक्षस कहलाते थे। उन्होंने सोने, चांदी और लोहे के तीन नगर बनवाए थे। ये तीन नगर त्रिपुर कहलाते। ब्रह्मा के आशीर्वाद से त्रिपुरासुर इतने शक्तिशाली थे कि उनके अत्याचार से देवता भी त्रस्त हो गए थे। सभी ने भगवान शिव से त्रिपुरासुर के अंत की विनती की। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध कर उनके अत्याचार से मुक्ति दिलाई। फिर भगवान शिव त्रिपुरारि या त्रिपुरांतक कहलाए। इससे खुश होकर देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था, इसके बाद सारे देवी-देवता काशी की धरती पर आए। भव्य दिवाली मनाई। पुराणों, धर्मशास्त्रों, धर्म सिंधु आदि ग्रंथों में इसका उल्लेख त्रिपुरोत्सव के नाम से होता है। दिवाली पर केवल मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। मगर, मान्यता है कि देव दीपावली पर साक्षात सभी देवतागण काशी में उतरते हैं और जो भी दीपक जलाता है, उसे अपना आशीर्वचन देते हैं। तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली मनाई जाने लगी। मान्यता 2. जब राजा दिवोदास ने काशी में देवताओं के प्रवेश को प्रतिबंधित किया स्कंद पुराण के काशीखंडम के मुताबिक, काशी में देव दीपावली मनाने के संबंध में मान्यता है कि राजा दिवोदास ने अपने राज्य काशी में देवताओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भेष बदलकर भगवान शिव ने काशी के पंचगंगा घाट पर आकर गंगा स्नान किया। यह बात राजा दिवोदास को पता लगी तो उन्होंने देवताओं के प्रवेश के प्रतिबंध को समाप्त कर दिया था। इससे देवता खुश हुए और उन्होंने काशी में प्रवेश कर दीप जलाकर दीपावली मनाई थी। इतिहास में देव दीपावली की कहानी
काशी के पंचगंगा घाट को लेकर मान्यता है कि यहां गंगा, यमुना, सरस्वती, धूतपापा और किरणा नदियों का संगम है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन पंचगंगा घाट पर स्नान विशेष पुण्यदायी माना जाता है। काशी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, यहां देव दीपावली की शुरुआत भगवान शिव की कथा से जुड़ी है। मगर, घाटों पर दीप प्रज्ज्वलित होने की कथा पंचगंगा घाट से जुड़ी है। 1785 में आदि शंकराचार्य से प्रेरणा लेकर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार कराने वाली महारानी अहिल्याबाई होलकर ने पंचगंगा घाट पर पत्थर से बने हजारा स्तंभ (एक हजार एक दीपों का स्तंभ) पर दीप जलाकर काशी में देव दीपावली उत्सव की शुरुआत की थी। इसे भव्य बनाने में काशी नरेश महाराज विभूति नारायण सिंह ने मदद की। 39 साल पहले क्रिकेट खेलने वाले लड़कों ने मनाई थी देव दीपावली
काशी में देव दीपावली के मौजूदा स्वरूप का इतिहास महज 39 साल पुराना है। पहली बार 1985 में घाट पर क्रिकेट खेलने वाले लड़कों ने श्रद्धालुओं से दीये और तेल के पैसे मांगकर पंचगंगा घाट पर 5 दीये जलाए थे। इसके बाद 1986 में बनारस के 5 घाटों पंचगंगा, बालाजी, सिंधिया घाट, मान मंदिर और अहिल्या बाई घाट पर देव दीपावली मनाई गई। 1987 में कुछ अन्य लोग भी जुड़े और दशाश्वमेध घाट को मिलाकर 15 घाटों तक देव दीपावली मनाई जाने लगी। आयोजन के चौथे साल अस्सी घाट पर भी देव दीपावली मनाई जाने लगी। पांचवें साल 27 घाट और अब 85 से ज्यादा गंगा घाटों पर देव दीपावली महा उत्सव के रूप में मनाई जाती है। केंद्रीय देव दीपावली महासमिति के अध्यक्ष पं. वागीश दत्त शास्त्री के अनुसार, नेपाल से आकर बनारस में बसे पं. नारायण गुरु ने साल 1984 में श्रद्धा भाव से किरणा-गंगा संगम स्थल पर 5 दीये जलाए थे। अगले साल घर-घर से तेल मांग कर उन्होंने पंचगंगा घाट से हजारा दीपोत्सव (1001 दीप जलाकर) मनाया। इस साल 39 साल बाद 15 नवंबर को काशी के गंगा घाटों पर देव दीपावली पहले से भी ज्यादा भव्य और दिव्य रूप में मनाई जाएगी। घाट, पोल पर स्पाइरल लाइट से सजेंगे  टूरिस्ट डिपार्टमेंट गंगा के घाटों को झालर से सजा रहा है। शहर के पोल को स्पाइरल लाइट से नगर निगम सजा रहा है। उप निदेशक पर्यटन दिनेश कुमार ने बताया- विभाग देव दीपावली समितियों को दीया, तेल–बाती उपलब्ध कराएगा। नगर निगम की ओर से इस दौरान घाटों की ठीक से साफ-सफाई और साज-सजावट करवाई जा रही है।  …............... ये भी पढ़ें - 40 बच्चों को पालने वाली कौशल्या ने किन्नर अखाड़ा छोड़ा:प्रयागराज में सनातनी किन्नर अखाड़ा बनाया; ममता कुलकर्णी की वजह से दो फाड़ महाकुंभ में सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहे किन्नर अखाड़े में अब दो फाड़ में हो गया है। इस अखाड़े की महामंडलेश्वर और उप्र किन्नर कल्याण बोर्ड की मेंबर कौशल्या नंद गिरि उर्फ टीना मां ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आज सोमवार को नया अखाड़ा बनाकर घोषित कर दिया है। टीना मां करीब 40 बच्चों को गोद लेकर उनका पालन-पोषण कर रही हैं। वह उन्हें पढ़ा रही हैं। आधार कार्ड पर पेरेंट्स का नाम टीना मां का ही है। पढ़िए पूरी खबर...