इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विशेष रूप से सक्षम बच्चों के लिए बाल गृह चलाने वाले दृष्टि सामाजिक संथान एनजीओ को निधि का आवंटन न किए जाने पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार के अधिकारियों को यह समझना चाहिए कि इन बाल गृहों में रहने वाले नाबालिगों के हित दांव पर हैं। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवायी के लिए 9 अक्टूबर की तिथि नियत की है, साथ ही उस दिन महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के किसी राजपत्रित अधिकारी व महिला एवं बाल कल्याण विभाग के विशेष सचिव को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होने का आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने वर्ष 2008 में अनूप गुप्ता शीर्षक से दर्ज एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद पारित किया।