पूजा बेदी ने अपनी मां प्रोतिमा को किया याद:कहा- उनकी बॉडी आज तक नहीं मिली

Aug 21, 2025 - 12:00
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पूजा बेदी ने अपनी मां प्रोतिमा को किया याद:कहा- उनकी बॉडी आज तक नहीं मिली
एक्ट्रेस पूजा बेदी ने हाल ही में अपनी मां और मॉडल प्रोतिमा बेदी को याद करते हुए बताया कि उन्होंने हमेशा अपनी जिंदगी अपने तरीके से जी। पूजा ने बताया कि उनकी मां ने अपनी मरने की इच्छा भी प्रकृति के करीब रखी थी। अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में प्रोतिमा पहाड़ों में चली गईं और उनका शरीर कभी नहीं मिला। स्क्रीन से बातचीत में पूजा ने बताया, “बहुत अफसोस है कि मां ने 50 साल भी पूरे नहीं किए और दुनिया छोड़ दी। बहुत कुछ था जो मैं उनके साथ करना चाहती थी, लेकिन वह महिला थीं जिन्होंने अपनी शर्तों पर जिंदगी जी। उन्होंने वैसे ही जीवन जिया जैसा चाहा और वैसे ही दुनिया छोड़ी जैसा चाहा। वह हमेशा कहती थीं कि वह प्रकृति में जाकर मरना चाहती हैं और प्रकृति का हिस्सा बनना चाहती हैं।" पूजा ने आगे बताया, “इस खूबसूरत और शानदार जिंदगी के अंत में वह किसी चिता में धकेले जाने या गंगा में राख डालने की दिखावटी रस्म नहीं चाहती थीं। वह प्रकृति में मरना चाहती थीं; यही उनका भव्य अंत होना चाहिए था और ठीक वैसे ही हुआ। उनका शरीर कभी नहीं मिला। वह ब्रह्मांड और पृथ्वी का हिस्सा बन गईं। वह बस अद्भुत ऊर्जा थीं।” जब पूजा से सवाल पूछा गया कि क्या उनकी मां को उनकी मौत का अंदेशा था, तो एक्ट्रेस ने कहा, “वह मुझसे मिलीं, अपनी वसीयत लिखी, अपने गहने मुझे दिए, सभी डॉक्यूमेंट और प्रोपर्टी के कागज मुझे सौंपे और कहा, ‘कभी नहीं पता।’ मैंने पूछा, ‘इतना ड्रामेटिक क्यों हो रही हो?’ वह बस कह गईं, ‘कभी नहीं पता, डार्लिंग।’ उन्होंने सब कुछ मुझे सौंप दिया जो उनके पास था। उन्होंने कहा, ‘सिद्धार्थ (पूजा के भाई) अब नहीं रहा, उसने आत्महत्या की। मैंने नृत्यग्राम (डांस स्कूल) को लिन फर्नांडीज को सौंप दिया है; तुम मेरी एकमात्र सहारा हो। मैं चाहती हूं कि तुम मुझे जाने दो।’” पूजा ने बताया, “फिर वह कुल्लू-मनाली चली गईं और उन्होंने मुझे 12 पन्नों का पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी का सार लिखा। जन्म से बचपन, रिश्ते, शादी, बच्चों की जिम्मेदारियां, डांस की जर्नी और अपनी मृत्यु से पहले की स्थिति। उन्होंने लिखा, ‘मैं कुल्लू में हूं, कुल्लू का मतलब है देवताओं की घाटी। सभी देवताओं और देवी-देवताओं को मेरी सदा आभार ज्ञात हो। मैं खुश हूं, बहुत-बहुत खुश हूं।’ और फिर वह चली गईं। यही आखिरी था जो हमने उनसे सुना। क्या जर्नी थी, क्या जिंदगी थी, क्या महिला थीं, क्या मां थीं।”

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