सितंबर की सीएम डैश बोर्ड की रैंकिंग में गोरखपुर की स्थिति एक बार फिर खराब हो गई है। 8 स्थान खिसककर जिला 70वें स्थान पर पहुंच गया है। यानी प्रदेश के 75 में से 69 जिलों से पीछे। अगस्त में गोरखपुर को 62वां स्थान मिला था। बात गोरखपुर मंडल की करें तो कुशीनगर व महराजगंज टॉप 10 में शामिल हैं। कुशीनगर 7वें व महराजगंज 8वें स्थान पर है। हर महीने CM डैश बोर्ड की ओर से राजस्व एवं विकास के मामले में जिलों की रैंकिंग जारी की जाती है। राजस्व के वादों के निस्तारण और विकास परियोजनाओं की प्रगति को लेकर समीक्षा होती है। उसके आधार पर रैंकिंग जारी होती है। इससे जिलों में हो रहे कामकाज का पता चलता है। गोरखपुर मंडल का जिला देवरिया सितंबर महीने में 52वें स्थान पर आया है। दो जिलों के टॉप 10 में आने के कारण गोरखपुर मंडल की स्थिति में सुधार हुआ है। गोरखपुर में इस समय हजारों करोड़ की विकास परियोजनाएं गतिमान हैं। रैंकिंग को सुधारने के लिए समय से काम पूरा करने पर जोर दिया जा रहा है। बड़े पैमाने पर लंबित हैं राजस्व वाद
बड़े पैमाने पर राजस्व वाद लंबित होने के कारण भी रैंकिंग प्रभावित होती है। लगभग सभी तहसीलों में आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र का समय से निस्तारण न होने के कारण भी ऐसी स्थिति होती है। इसके साथ ही वरासत, पैमाइश, नामांतरण आदि मामलों से जुड़े वाद भी लंबे समय से निस्तारित नहीं हो पा रहे हैं, जिससे रैंकिंग खराब होती है। इन बिन्दुओं पर होता है मूल्यांकन CM डैश बोर्ड में जिलों के प्रशासनिक कामकाज, राजस्व कार्यों, विकास कार्यों और कानून-व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं का मूल्यांकन किया जाता है। 49 विभागों के 110 सरकारी कार्यक्रमों की महीनेवार समीक्षा की जाती है। जिनमें जनसुनवाई, जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और राजस्व प्रबंधन शामिल हैं। जिलों द्वारा सरकारी योजनाओं का प्रभावी और पारदर्शी क्रियान्वयन पर नजर रखी जाती है। जिससे जनता को लाभ मिले। प्रत्येक जिला विभिन्न मापदंडों पर अंक प्राप्त करता है, जिनके आधार पर कुल अंकों में से अधिकतम अंक पाने वाले जिलों को उच्च रैंक दी जाती है। यह रैंकिंग प्रशासनिक दक्षता, विकास के स्थाई परिणाम, योजना कार्यान्वयन की गुणवत्ता तथा जनसुनवाई में बेहतर प्रदर्शन को बढ़ावा देती है।