फर्जी IAS सौरभ त्रिपाठी का नेटवर्क बिहार से लेकर गोवा तक फैला था। बिहार से उसने करीब 4 साल पहले अपना नेटवर्क बनाना शुरू किया। दिल्ली और गोवा में उसे और मजबूत किया। उसके बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को अपना ठिकाना बनाया। इसे मजबूती देने के लिए उसने आधा दर्जन से अधिक IAS अफसरों से नजदीकियां बढ़ाईं। उसके बाद सरकारी मीटिंग्स और सेमिनारों में पहुंचकर IAS जैसी पहचान बनाई। लिंक्डइन, एक्स और फेसबुक पर IAS का प्रोफाइल बनाया। खुद का GOV.COM, NIC का फर्जी ईमेल आईडी बनाई। रौब झाड़ने के लिए गनर और नीली बत्ती लगी गाड़ियों की काफिला लेकर चलने लगा। करीब 8 दिन पहले उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल के जरिए एक बिजनेसमैन ने उससे संपर्क किया, लेकिन शक होने पर उसने एक सीनियर IAS अफसर को इसकी जानकारी दी। उसके बाद इसकी जांच शुरू हुई और दबोचा गया। फर्जी IAS सौरभ त्रिपाठी को लेकर भास्कर रिपोर्टर ने पुलिस अफसरों से बातचीत की, तो यह जानकारियां सामने आईं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... बिहार से शुरू किया फर्जीवाड़े का खेल पुलिस के अनुसार, सौरभ त्रिपाठी मूलरूप से मऊ के इमलिया मऊ का रहने वाला है। मऊ बिहार के पास है। बिहार से बड़ी संख्या IAS अफसर निकले हैं। इस वजह से उसने फर्जी IAS अफसर बनने की कहानी बिहार से शुरू की। पुलिस की जांच में सामने आया कि उसने करीब 4 साल पहले बिहार में तैनात आधा दर्जन IAS अफसरों से नजदीकियां बढ़ाईं। उनके जरिए सरकारी मीटिंग्स और सेमिनारों में पहुंचकर IAS जैसी पहचान बनाने का खेल से शुरू हुआ। धीरे-धीरे उसने बिहार के प्रशासनिक तंत्र में संपर्क बना लिए और उसी आधार पर दिल्ली तक नेटवर्क फैलाया। यूपी-गोवा-दिल्ली तक VIP एक्सेस, IAS की तरह चीफ गेस्ट बना पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक, सौरभ त्रिपाठी यूपी के कई जिलों के सरकारी कार्यक्रमों में बतौर चीफ गेस्ट शामिल हो चुका है। मंच पर IAS की तरह बैठता था।भाषण देता था।आयोजकों को भरोसा दिलाता था कि वह दिल्ली में पोस्टेड है। जल्द ही यूपी कैडर में वापस आने वाला है। इतना ही नहीं, उसने गोवा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ तस्वीरें खिंचवा लीं। इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लोगों को झांसे में लिया। इस तरह से उसने बिहार, दिल्ली, गोवा और उत्तर प्रदेश में अपना ठिकाना बना लिया। विश्वास जमाने के लिए फर्जी NIC मेल आईडी का प्रयोग करता था IAS अधिकारी होने का भरोसा दिलाने के लिए सौरभ ने फर्जी NIC और GOV मेल आईडी बनाई। अपने PS के नाम से भी ईमेल आईडी तैयार कराई। इन्हीं मेल आईडी से मंत्रालयों और विभागों में पत्राचार करता था। खुद को कैबिनेट स्पेशल सेक्रेटरी बताता था। जांच में सामने आया कि सौरभ लखनऊ के शालीमार वन वर्ल्ड अपार्टमेंट में रह रहा था। इस फ्लैट का किराया 60 हजार रुपए महीना है। उसने दो गनर तक की सुविधा ले रखी थी, ताकि लोग उसे वीवीआईपी समझते रहें। उसकी पत्नी B.Tech है और एक कंपनी में नौकरी करती है। दो बच्चों के साथ पूरा परिवार इसी फ्लैट में रहता था। सोशल मीडिया पर IAS की ब्रांडिंग, फोटो और पोस्ट का खेल करीब 4 महीने पहले सौरभ ने लिंक्डइन पर प्रोफाइल बनाई। यहां उसने खुद को भारत सरकार का कैबिनेट स्पेशल सेक्रेटरी बताया। प्रभावशाली लोगों के साथ ली गई तस्वीरें पोस्ट कर अपनी पहचान मजबूत की। अक्टूबर 2023 में उसने X (ट्विटर) पर भी अकाउंट बनाया और वहां IAS वाली पहचान को प्रचारित करता रहा। फेसबुक पर अलग-अलग नामों से प्रोफाइल बनाकर IAS का टैग इस्तेमाल करता रहा। NGO के जरिए बैठकों में एंट्री करता था पुलिस ने पता लगाया कि सौरभ एक NGO से जुड़ा हुआ था। इसी NGO के सहारे वह अलग-अलग राज्यों में होने वाली बैठकों और सरकारी आयोजनों में पहुंचता था। इन मीटिंग्स में उसने कई IAS और राजनेताओं के साथ तस्वीरें खिंचवाईं। इन्हीं तस्वीरों को सोशल मीडिया पर डालकर अपने नेटवर्क को और मजबूत करता रहा। जानिए कैसे पकड़ में आया... व्यापारी की शिकायत से शुरू हुई जांच
पुलिस ने बताया कि करीब 8 दिन पहले लखनऊ के एक व्यापारी की सोशल मीडिया के जरिए सौरभ त्रिपाठी से परिचय हुआ। काम के लिए बातचीत के दौरान उसे शक हुआ। उसने अपने एक परिचित सीनियर IAS अधिकारी को सौरभ त्रिपाठी के बारे में जानकारी दी। बताया कि सौरभ खुद को IAS बताकर सरकारी काम दिलाने का झांसा दे रहा है। इसके बाद मामला गंभीरता से लिया गया और LIU ने पड़ताल शुरू कर दी। कैबिनेट सेक्रेटरी कार्यालय से जुटाई गई जानकारी वजीरगंज थाना प्रभारी निरीक्षक राजेश त्रिपाठी ने सौरभ त्रिपाठी को गिरफ्तार किया। उसके पास से बैग में करीब 25 से ज्यादा फर्जी दस्तावेज पाए गए। इस आधार पर इंस्पेक्टर ने खुद वादी बनकर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। इंस्पेक्टर राजेश त्रिपाठी ने उसके पकड़ने के बाद तुरंत उच्च अधिकारियों को जानकारी दी। गृह विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया। उसके बाद क्राइम ब्रांच और वजीरगंज पुलिस ने संयुक्त रूप से सौरभ के बैकग्राउंड की जांच की। मंत्रालय और कैबिनेट सेक्रेटरी कार्यालय से संपर्क किया गया, तो साफ हुआ कि सौरभ त्रिपाठी फर्जी IAS अफसर है। धोखाधड़ी, जालसाजी और सरकारी पद का दुरुपयोग सौरभ त्रिपाठी पर IPC की कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। आरोपों में धोखाधड़ी, जालसाजी और सरकारी पद का दुरुपयोग शामिल है। पुलिस की शुरुआती जांच में सौरभ की ईमेल आईडी फर्जी निकलीं। लग्जरी गाड़ियों पर लगे पास भी कूटरचित पाए गए। इससे पुलिस को यकीन हो गया कि पूरा नेटवर्क ठगी और धोखाधड़ी पर आधारित है। बिजनेसमैन से संपर्क, ठगी के कई मामले सामने आए वजीरगंज पुलिस के मुताबिक, आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने बयान दिया है कि सौरभ ने IAS बनकर उनसे संपर्क किया। बिजनेसमैन को सरकारी मदद और काम दिलाने का झांसा दिया। कई बार उन्हें फर्जी मीटिंग्स में बुलाया और भरोसा दिलाने के लिए फोटो और दस्तावेज भी दिखाए। अब पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि कितने लोगों से उसने कितने की ठगी की है? डीसीपी क्राइम कमलेश त्रिपाठी के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद उसकी कुंडली खंगाली जा रही है। साइबर सेल को लगाया गया है ताकि उसकी फर्जी ईमेल आईडी और सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच हो सके। बैंक ट्रांजैक्शन और प्रॉपर्टी डिटेल्स भी खंगाले जा रहे हैं। शक है कि उसने दूसरे राज्यों में भी कई बार VIP प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया और फायदा उठाया है। ------------------------ ये खबर भी पढ़िए... लखनऊ में पकड़े गए फर्जी IAS की कहानी : निजी बॉडीगार्ड; 6 लग्जरी गाड़ी, सभी पर ‘भारत सरकार’ या ‘उत्तर प्रदेश शासन’ की प्लेट राजधानी लखनऊ पकड़े गए फर्जी IAS ने सरकार और सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए। ऐसे सरकारी ऑफिस या मीटिंग जिसमें विभागीय अधिकारियों के अलावा किसी अन्य की एंट्री नहीं हो सकती, वहां फर्जी IAS आसानी से पहुंच जाता था। इन्हीं फोटोज का इस्तेमाल वह लोगों पर रौब जमाने के लिए करता था। (पूरी खबर पढ़िए)