बागपत जिले में आलू की बुवाई शुरू होने के साथ ही किसानों को डीएपी खाद की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। सहकारी समितियों और गोदामों पर खाद के लिए किसानों की लंबी कतारें देखी जा रही हैं, लेकिन पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण अधिकांश किसान खाली हाथ लौटने को मजबूर हैं। ठेके पर जमीन बोने वाले किसान विशेष रूप से परेशान हैं, क्योंकि उन्हें बिना फर्द के समितियों से डीएपी खाद नहीं मिल रही है। प्रति एकड़ आलू की बुवाई के लिए कम से कम दो बैग डीएपी की आवश्यकता होती है, लेकिन किसानों को केवल एक कट्टा खाद ही दिया जा रहा है। यहां तक कि छह एकड़ भूमि वाले किसान को भी एक बार में अधिकतम तीन बैग ही मिल पा रहे हैं। एक समिति से लगभग छह गांव जुड़े होते हैं कई सहकारी समितियों पर डीएपी खाद की आपूर्ति बेहद कम है। एक समिति से लगभग छह गांव जुड़े होते हैं, लेकिन उन्हें मात्र एक गाड़ी (लगभग 300 बैग) खाद ही मिली है। इस अपर्याप्त आपूर्ति से किसानों में भारी नाराजगी है। खेत तैयार होने के बावजूद डीएपी न मिलने से बुवाई का काम ठप पड़ गया है। किसान सुबह से कतार में लगकर भी शाम तक खाली हाथ लौट रहे हैं। किसानों का आरोप है कि निजी दुकानों पर डीएपी खाद महंगे दामों पर बेची जा रही है, जिससे उनकी कृषि लागत में वृद्धि हो रही है। वहीं, विभागीय अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही डीएपी की नई खेप आने वाली है और आपूर्ति सामान्य कर दी जाएगी। किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद उपलब्ध कराई जाए, ताकि आलू की बुवाई समय पर पूरी हो सके और उन्हें नुकसान से बचाया जा सके।