भदोही में कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) द्वारा आयोजित इंडिया कार्पेट एक्सपो-2025 के 49वें संस्करण को दुनिया भर के आयातकों का समर्थन मिल रहा है। मेले के दूसरे दिन तक 190 विदेशी खरीदार और 163 विदेशी ग्राहकों के भारतीय प्रतिनिधियों ने इसमें भाग लिया। इन सभी ने मेले में प्रदर्शित उत्पादों के प्रति अपनी गहरी रुचि दिखाई।मेले के दूसरे दिन भदोही विधायक जाहिद बेग ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया और निर्यातकों से मिलकर उनका उत्साह बढ़ाया। इस दौरान भदोही कार्पेट के स्टालों पर विदेशी खरीदारों को उत्पादों के बारे में पूछताछ करते देखा गया। निर्यातक पंकज बरनवाल ने बताया कि मेले में अमेरिकी टैरिफ का असर स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। आमतौर पर कालीनों की 60 प्रतिशत खरीदारी अमेरिकी ग्राहकों द्वारा की जाती थी, लेकिन इस बार उनकी संख्या न के बराबर है। हालांकि, अन्य देशों के ग्राहकों द्वारा पूछताछ जारी है। अंसारी फ्लोर कवर के निर्यातक एजाज अंसारी ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय कालीनों का सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका है और कोई अन्य देश उसका विकल्प नहीं हो सकता। उन्होंने सरकार से अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने और उद्योग के निर्यात को बनाए रखने के लिए बेलआउट पैकेज की घोषणा करने का आग्रह किया। ओएसी रग्स की युवा कालीन निर्यातक अरफा नसीम अंसारी भी अपने स्टाल पर विदेशी खरीदार के भारतीय प्रतिनिधि को रंग-बिरंगे मखमली कालीनों के सैंपल दिखाती नजर आईं। सीईपीसी के चेयरमैन कुलदीप राज वट्टल ने कालीन उद्योग को 'कृषि उद्योग' की मान्यता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह एक विशिष्ट उद्योग है, जिसे एक अलग सेक्टर में रखा जाना चाहिए क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला कच्चा माल कृषि उत्पाद है। इस श्रेणी में आने से उद्योग को सभी संबंधित लाभ मिल सकेंगे। वट्टल ने मेले की व्यवस्था की सराहना की और कहा कि आयातकों व निर्यातकों ने इसमें काफी रुचि दिखाई है। इससे निर्यातकों को टैरिफ की समस्या के बावजूद काफी प्रोत्साहन मिला है। प्रशासनिक समिति के सदस्यों ने यह मेला लगाकर विदेशी खरीदारों और निर्यातकों को एक ऐसा मंच प्रदान किया है जो उन्हें साल भर व्यापार बढ़ाने में मदद करता है।