भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन आज:297 साल बाद 6 ग्रहों का बना है योग, जानिए कब तक रहेगा शुभ मुहूर्त

Aug 9, 2025 - 06:00
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भाई-बहन के प्रेम का पर्व रक्षाबंधन आज:297 साल बाद 6 ग्रहों का बना है योग, जानिए कब तक रहेगा शुभ मुहूर्त
भाई-बहन के प्रेम का पर्व पर भद्रा का साया नहीं होने के कारण पूरा दिन राखी का पर्व मनाने के लिए उत्तम है। ज्योतिष गणना के अनुसार, रक्षा बंधन पर राखी बांधने के लिए कई शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से भाई-बहन को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। रक्षा बंधन का पर्व इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग के शुभ संयोग में मनाया जाएगा। रक्षा बंधन पर राखी बांधने के ब्रह्म मुहूर्त से लेकर अन्य शुभ मुहूर्त पंडित विकास ने बताया रक्षा बंधन पर राखी बांधने के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 47 मिनट से दोपहर 02 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से दोपहर 03 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। गोधूलि मुहूर्त शाम 07 बजकर 06 मिनट से शाम 07 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। 297 साल बाद रक्षाबंधन पर 6 ग्रहों का योग पंडित विकास ने कहा - रक्षाबंधन पर 297 साल बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है‌। इस दिन सूर्य कर्क राशि में, चंद्रमा मकर राशि में, मंगल कन्या राशि में, बुध कर्क राशि और शुक्र मिथुन राशि, राहु कुंभ राशि में और केतु सिंह राशि में रहेंगे। बताया जा रहा है कि इससे पहले ऐसा संयोग साल 1728 में बना थी। उस समय रक्षाबंधन पर भद्रा नहीं था और ग्रहों की स्थिति ठीक ऐसी ही थी। राखी बांधते समय बहन कौन सा मंत्र बोले "येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः। तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल॥" इस मंत्र का अर्थ है- जिस रक्षासूत्र से महान बलशाली दानवों के राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुम्हें बांधती हूं. यह रक्षासूत्र तुम्हारी रक्षा करे। राखी के थाली में जरूरी है ये 8 सामग्री पंडित विकास ने बताया पूजा के लिए एक थाली में स्वास्तिक बनाकर उसमें चंदन, रोली, अक्षत, राखी, मिठाई, और कुछ ताज़े फूलों के बीच में एक घी का दीया रखें। दीपक प्रज्वलित कर सर्वप्रथम अपने ईष्टदेव को तिलक लगाकर राखी बांधें और आरती उतारकर मिठाई का भोग लगाएं। फिर भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाएं। इसके बाद उनके सिर पर रुमाल या कोई वस्त्र रखें। अब भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का तिलक लगाकर उसके हाथ में नारियल दें।

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