मामूली विवाद में पड़ोसी महिला को तेजाब से नहलाने के मामले में एडीजे–18 की कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी करार देते हुए 10 साल कैद की सजा सुनाई। वहीं साक्ष्यों के अभाव में एक अन्य आरोपी को बरी कर दिया गया। मई 2001 में आरोपी ने घटना को अंजाम दिया था। 14 साल बाद पीड़ित परिजनों को न्याय मिला। 31 मई 2001 की घटना बिरहाना रोड स्थित तपेश्वरी मंदिर के बाहर फूल की दुकान लगाने वाले गंगा प्रसाद के मुताबिक 31 मई 2001 को उनकी बेटी आरती घर के बाहर खेल रही थी। इस दौरान पानी की छीटें पड़ोस में रहने वाले मनोज पर पड़ गए। मनोज ने गुस्से में आकर आरती को पीट दिया, जिससे उसकी नाक से खून बहने लगा था। बेटी को मारने की जानकारी पर मां द्रोपदी ने विरोध किया, जिस पर मनोज गाली गलौज कर चला गया। गंगा प्रसाद के मुताबिक कुछ देर बाद मनोज तेजाब की बोतल लेकर आया। पत्नी द्रोपदी पर उड़ेल दिया। हादसे में वह गंभीर रूप से घायल हो गई थी। करीब डेढ़ माह इलाज के बाद द्रोपदी की मौत हो गई थी। अभियोजन ने पेश किए 8 गवाह गंगा प्रसाद ने फीलखाना थाने में मनोज व उसके साथ दीपक कनौजिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर चार्जशीट दाखिल की थी। मामला एडीजे–18 राकेश कुमार तिवारी की कोर्ट में ट्रायल पर था। एडीजीसी धर्मेंद्र पाल सिंह ने बताया कि अभियोजन की ओर से 8 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे। 10 हजार जुर्माना लगाया कोर्ट ने आरोपी मनोज को दोषी ठहराते हुए 10 साल कैद व 10 हजार जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं साक्ष्यों के अभाव में दीपक को कोर्ट ने बरी कर दिया।