3 मार्च, 2025 को बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। 5 अगस्त को मायावती ने भाई आनंद के साथ राज्यसभा सांसद रामजी गौतम को नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया। आनंद के मना करने पर पार्टी ने रणधीर सिंह बेनीवाल को दूसरा नेशनल कोआर्डिनेटर बनाया। तब राज्यों के प्रभार के रूप में रामजी गौतम मायावती के बाद दूसरे ताकतवर नेता बनकर उभरे थे। इससे पहले 2018 में वे पार्टी के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं। ऐसे में सवाल यह है कि पार्टी में नंबर दो की हैसियत तक पहुंचे रामजी गौतम के अचानक पर क्यों कतरे जा रहे? पार्टी में कौन सा समीकरण बदला, जिसके चलते रामजी गौतम धीरे-धीरे हाशिए पर धकेले जा रहे? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… वरिष्ठ पत्रकार सैय्यद कासिम कहते हैं- रामजी गौतम के प्रकरण को समझना है, तो करीब साढ़े 4 महीने पीछे जाना होगा। 13 अप्रैल को पार्टी से निष्कासित किए गए मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर माफी मांगी। इसके तुरंत बाद मायावती ने भी पोस्ट डालकर उनको माफ कर दिया। इस तरह उनकी वापसी हो गई। हालांकि, उस समय आकाश को कोई दायित्व नहीं सौंपा गया। इसके करीब एक महीने बाद 18 मई को मायावती ने आकाश आनंद को पार्टी का चीफ नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया। बसपा में पहली बाद चीफ नेशनल कोआर्डिनेटर का पद बनाया गया। इस ताजपोशी के साथ ही उनको बिहार का स्टार प्रचारक भी बना दिया गया। साथ ही मायावती ने पूर्व सांसद राजाराम को नेशनल भी कोआर्डिनेटर बनाया। मतलब, पार्टी में रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल के साथ राजाराम तीसरे नेशनल कोआर्डिनेटर बनाए गए थे। इससे पहले रामजी के पास देश के आधे से अधिक प्रमुख राज्यों का प्रभार था। राजाराम के आने के बाद कुछ राज्यों की कटौती गई। 28 अगस्त को फिर बदलाव किया, 6 नेशनल कोआर्डिनेटर बनाए
मायावती ने 28 अगस्त को पार्टी में एक बार फिर बड़ा बदलाव किया। इस बार उन्होंने भतीजे आकाश आनंद को और ताकतवर बना दिया। उनके लिए पार्टी में फिर से नया पद बनाते हुए आकाश को राष्ट्रीय संयोजक बना दिया। साथ ही उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई कि वे सभी सेक्टर, केंद्रीय और राज्य कोआर्डिनेटरों और प्रदेश अध्यक्षों के कामकाज की समीक्षा करेंगे। साथी ही सीधे मायावती को रिपोर्ट करेंगे। मतलब एक तरह से ये मायावती के बाद अघोषित तौर पर नंबर-2 की पोजिशन मानी जा रही है। इसके अलावा मायावती ने नेशनल कोआर्डिनेटरों की संख्या भी 3 से 6 बढ़ाकर कर दी। पार्टी में रामजी गौतम, रणधीर सिंह बेनीवाल और राजाराम के अलावा डॉ. लालजी मेधांकर, पूर्व एमएलसी अतर सिंह राव और धर्मवीर सिंह अशोक को भी नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया। इसके साथ ही राजाराम के साथ मोहित आनंद, अतर सिंह राव के साथ सुरेश आर्या और धर्मवीर अशोक के साथ दयाचंद को सह-प्रभारी बनाया दिया। हालांकि, यूपी और उत्तराखंड का प्रभार किसी को नहीं दिया। इसके अलावा विश्वनाथ पाल 3 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद फिर से प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए हैं। यूपी में पहली बार बसपा ने किसी प्रदेश अध्यक्ष को दूसरी बार मौका दिया है। ये महत्वपूर्ण राज्य रामजी गौतम के हाथ से निकले
पार्टी के इकलौते राज्यसभा सांसद रामजी गौतम के पास राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, तमिलनाडु जैसे कई राज्यों का प्रभार था। वे अब केवल 4 राज्यों तक सीमित कर दिए गए हैं। राजस्थान जैसे अहम राज्य की कमान उनसे छीन ली गई है। इसे पार्टी में उनके लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बताते हैं, रामजी राजस्थान का प्रभार अपने पास रखना चाहते थे। वहीं, पूर्व सांसद राजाराम को महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे बड़े राज्य मिले हैं। राजाराम को चुनावी राज्य बिहार का भी प्रभार सौंपा है। लेकिन, इस राज्य को एक तरह से 3 हिस्सों में बांट दिया गया है। पहले बिहार 2 हिस्सों में था। रामजी गौतम और डॉ. लालजी मेधांकर को दायित्व सौंपा गया था। अब बिहार को 3 हिस्सों में बांटकर रामजी गौतम के अलावा आकाश आनंद और स्टेट कमेटी, मतलब वहां के प्रभारी अनिल चौधरी को दायित्व सौंपा गया है। रामजी गौतम के पर कतरने की वजह क्या?
इस सवाल का जवाब वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह देते हैं। वह कहते हैं- इसे समझना हो तो आकाश आनंद के पार्टी से निकाले जाने के प्रकरण से समझ सकते हैं। तब मायावती ने रामजी गौतम पर अधिक भरोसा दिखाया था। तब पार्टी के साथ आम लोगों में इस बात की चर्चा थी कि रामजी गौतम के कान भरने की वजह से आकाश आनंद को पार्टी से बाहर किया गया था। अब आकाश आनंद जैसे-जैसे पावर में लौट रहे हैं, रामजी गौतम का कद घटता जा रहा है। वैसे भी किसी भी पार्टी में सत्ता के दो केंद्र नहीं हो सकते हैं। वर्ना गुटबाजी बढ़ने का खतरा रहता है। आकाश आनंद को धीरे-धीरे पार्टी आगे बढ़ा रही है। जिससे भविष्य में जरूरत पड़ने पर उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सके। विश्वनाथ पाल को दोबारा यूपी में कमान देने के मायने
मायावती ने यूपी में विश्वनाथ पाल को लगातार दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन पर भरोसा जताया है। गैर-यादव ओबीसी गड़रिया समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को बसपा का कोर वोट बैंक माना जाता है। यह पहली बार है, जब मायावती ने किसी प्रदेश अध्यक्ष को दोबारा मौका दिया है। यूपी में पाल/गड़रिया/बघेल समाज की आबादी कुल जनसंख्या का 4-6% है। यह पूर्वांचल (जौनपुर, भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र, प्रयागराज), अवध (लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, सुल्तानपुर), बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी (कन्नौज, फर्रुखाबाद, इटावा, कासगंज, मैनपुरी) तक फैले हैं। परंपरागत रूप से इस समाज के वोटर बसपा और सपा से जुड़े रहे हैं। बसपा ने पहली बार राजू पाल को प्रत्याशी बनाकर प्रयागराज में अतीक अहमद के किले में सेंध लगाई थी। उनकी हत्या के बाद पत्नी पूजा पाल को उपचुनाव में प्रत्याशी भी बनाया था। बसपा के ही सिंबल पर पहली बार पूजा पाल विधायक चुनी गई थीं। 2022 में वह सपा के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़कर जीती थीं। अब वह सपा से निष्कासित हो चुकी हैं। उनके अगले कदम के बारे में चर्चा है कि भाजपा में शामिल हो सकती हैं। उधर, सपा ने भी प्रदेश में अपना अध्यक्ष श्यामलाल पाल को बनाया है। मतलब, पाल समाज में सपा और भाजपा की सेंधमारी के प्रयास को देखते हुए बसपा ने विश्वनाथ पाल पर फिर से भरोसा जताया है। 35 साल में सबसे खराब दौर से गुजर रही है बसपा बहुजन समाज पार्टी बीते 35 सालों में अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। लोकसभा में बसपा का एक भी सांसद नहीं है। विधानसभा में उसके एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह है। विधान परिषद में भी बसपा का एक भी सदस्य नहीं है। राज्यसभा में भी बसपा के एकमात्र सदस्य रामजी गौतम हैं। बसपा के संस्थापक कांशीराम ने दलितों और पिछड़ों में राजनीतिक चेतना जगाकर सियासत की तस्वीर बदली थी। मायावती ने 4 बार यूपी में सरकार बनाई, लेकिन पिछले डेढ़ दशक में पार्टी की सियासी जमीन खिसकती गई। 2024 के यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी को निराशा हाथ लगी। बसपा अपने परंपरागत वोट हासिल करने में भी नाकाम रही। 12 साल पहले पूर्ण बहुमत से सत्ता में रही बहुजन समाज पार्टी केवल कटेहरी और मझंवा में अपनी जमानत बचा सकी। यहां उसे तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। कुंदरकी और मीरापुर में बसपा का प्रदर्शन बेहद शर्मनाक रहा। कुंदरकी में बसपा को अब तक का सबसे कम मात्र 1,051 वोट ही मिले। वहीं, मीरापुर में बसपा साढ़े तीन हजार वोटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी। यहां उसे 3,248 वोट मिले। कानपुर की सीसामऊ सीट, जहां सपा की नसीम सोलंकी ने जीत हासिल की, वहां बसपा को मात्र 1,410 वोट ही मिले। विधानसभा आम चुनाव में बसपा को जिस खैर सीट पर 65 हजार वोट मिले थे, इस बार 13 हजार वोटों पर सिमट गई। माना जाता था कि दलितों में जाटव वोट बैंक बसपा के साथ अब भी मजबूती से जुड़ा है। लेकिन, इस उपचुनाव में वो मिथक भी टूट गया। अब मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को नई ऊर्जा देने के की कवायद में जुटी हैं। यही कारण है कि वह आकाश आनंद का कद धीरे-धीरे बढ़ा रही हैं। प्रदेश अध्यक्ष बोले- देश भर के युवा आकाश को आइकान मान रहे
आकाश आनंद को पार्टी की रणनीति, टिकट वितरण, चुनावी प्रचार और संगठनात्मक गतिविधियों में अहम भूमिका सौंपकर मायावती ने उन्हें भविष्य का नेता बनाने का संकेत दे दिया है। इसकी तस्दीक पार्टी के यूपी प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल भी करते हैं। कहते हैं- आकाश देश भर के युवाओं में लोकप्रिय हैं। पार्टी में मेरे जैसे बहुत सारे लोग ये मानते हैं कि आकाश आनंद पार्टी के भविष्य हैं। उनकी सोच, कार्यशैली और कार्यकर्ताओं के साथ उनकी बॉन्डिंग गजब की है। कई पार्टियों में तो 55 और 53 साल वाले भी खुद को भी नौजवान बता रहे हैं। देश का नौजवान 29 साल के आकाश को अपना आइकान मान रहा है। इससे पार्टी को फायदा मिलेगा। आकाश के अंदर राजनीति करने की गजब की इच्छाशक्ति है। सभी को साथ लेकर चलने की क्षमता है। एक नेतृत्वकर्ता के रूप में जो काबिलियत होनी चाहिए, वो उनमें बखूबी नजर आता है। ---------------------------- ये खबर भी पढ़ें... प्रिया सरोज बोलीं- रिंकू से अरेंज नहीं, लव मैरिज, मछलीशहर मेरी कर्मभूमि है, इसे नहीं छोड़ सकती लोकसभा में सबसे युवा महिला सांसद प्रिया सरोज ने पहली बार क्रिकेटर रिंकू सिंह से अफेयर और अपनी आगे की राजनीति पर बेबाकी से बात रखी। उनका अफेयर 2022 में शुरू हुआ था। जल्द ही दोनों शादी करेंगे। प्रिया सरोज सपा के कद्दावर नेता तूफानी सरोज की बेटी हैं। वह मछलीशहर से सांसद हैं। उनकी रिंकू से अरेंज मैरिज है या लव मैरिज? शादी कब होगी? शादी के बाद कहां जाने का प्रोग्राम है? मोदी पसंद हैं या योगी? दैनिक भास्कर के इन सवालों के उन्होंने जवाब दिए। पढ़िए पूरी खबर...