कानपुर के मोतीझील ग्राउंड में शुक्रवार से कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर की कथा शुरू हो गई। यह कथा 24 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक प्रतिदिन आयोजित होगी। पहले ही दिन हजारों भक्त कथा सुनने पहुंचे। देवकीनंदन ठाकुर ने कथा के दौरान सनातन बोर्ड की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग सनातनी मां का दूध पीकर भी सनातन के खिलाफ बयान कैसे दे सकते हैं। उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य के दिवाली पर मां लक्ष्मी पूजा को लेकर दिए बयान का भी जिक्र किया। ठाकुर महाराज ने कहा, ऐसे बयान धर्म और सनातन पर चोट हैं। हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत देवकीनंदन ठाकुर ने हिमाचल हाईकोर्ट के 16 अक्टूबर के आदेश का स्वागत किया। कोर्ट ने कहा कि मंदिर के धन का इस्तेमाल सरकार किसी अन्य काम के लिए नहीं कर सकती। ठाकुर महाराज ने कहा कि संविधान सभी को पूजा का अधिकार देता है और सरकार को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। तिरुपति मंदिर का उदाहरण कुछ लोग तर्क करते हैं कि भारत पहले से ही सनातनी है। देवकीनंदन ने इसका खंडन करते हुए तिरुपति बालाजी मंदिर का उदाहरण दिया। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर भारत सनातनी है तो वहां 200 विधर्मी कर्मचारी और अध्यक्ष क्यों हैं। इसे क्यों नहीं रोका गया? मंदिर के धन की सुरक्षा ठाकुर महाराज ने कहा कि हिमाचल हाईकोर्ट ने सनातनियों की भावनाओं को समझा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मंदिर का धन सरकार का नहीं है और इसे कहीं और इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। व्यास पीठ से देवकीनंदन ठाकुर ने कोर्ट को नमन किया और कहा, कोर्ट हमारे लिए माननीय है। मैं गद्दी पर बैठकर आशीर्वाद दे सकता हूं। सुप्रीम कोर्ट से मांग कथा के दौरान ठाकुर महाराज ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि मंदिर के धन का इस्तेमाल सड़कें बनाने या सरकारी खर्चों के लिए न हो। उन्होंने कहा, अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा आदेश देती है तो यह 100 करोड़ सनातनियों की इज्जत और भावनाओं की रक्षा करेगा।