देशभर में गणेश उत्सव की धूम है। गणपति बप्पा का प्रिय व्यंजन मोदक है। भक्त इसे बड़े चाव से बप्पा को अर्पित करते हैं। इस बार भास्कर जायका में हम आपको ऐसे मोदक की मेकिंग और स्वाद से रूबरू कराएंगे, जिसकी परंपरा काशी में पिछले 10 साल से चल रही है। दरअसल, काशी सिर्फ धर्म और आस्था की नगरी ही नहीं, स्वाद का भी बड़ा केंद्र है। यहां हर व्यंजन अपने अलग अंदाज में तैयार होता है। गणेश उत्सव के दौरान यहां बनने वाले मोदक का महत्व और भी खास हो जाता है। इन दिनों वाराणसी के बड़ा गणेश मंदिर में गणेश उत्सव की रौनक देखने लायक है। बड़ी संख्या में भक्त बप्पा को मोदक चढ़ाने पहुंच रहे हैं। खास बात यह है कि शहर की करीब 10% आबादी महाराष्ट्र की है। जिससे गणेश उत्सव और मोदक की परंपरा का रंग और गहरा हो गया है। हमारी टीम बड़ा गणेश मंदिर पहुंची, यहां हमने जाना कि यहां मोदक कब से बनाए जा रहे हैं और उनकी खासियत क्या है? काशी में 10 साल पहले बनना शुरू हुआ मोदक
5 फीट चौड़ी गली में करीब 2 किलोमीटर अंदर जाने पर बड़ा गणेश जी मंदिर है। मंदिर परिसर में हमें 50 साल के सीताराम माझी मिले। उन्होंने बताया कि उनकी दुकान को चलते हुए 30 साल हो गए हैं। पहले काशी में मोदक नहीं बनता था। लेकिन, लोगों की डिमांड इतनी बढ़ी कि हमने मुंबई से खास सांचा मंगवाया। इसके बाद यहां मोदक बनाना शुरू किया। इन मोदकों को तैयार करने में करीब 2 दिन का समय लगता है। वाराणसी में 3 तरह के मोदक बनते हैं पूर्वांचल सहित देश विदेश से आते हैं श्रद्धालु मोदक लेने
मोदक बनाने वाले कारीगर अंकुर यादव ने बताया- काशी में बनने वाले मोदक की डिमांड पूरे पूर्वांचल से आती है। क्योंकि इस खास मोदक को यहीं पर बनाया जाता है। यहां 5 दुकानदार मोदक बनाते और बेचते हैं। पूरे पूर्वांचल समेत देश के विभिन्न राज्यों और विदेशों से भी टूरिस्ट यहां आते हैं। 10-15 साल पहले हुई थी मोदक बनने की शुरुआत
मंदिर के पंडित धर्मेंद्र ने बताया- जैसे मां के लिए बच्चा प्रिय होता है, वैसे ही भगवान गणेश के लिए मोदक प्रिय है। काशी में भगवान गणेश के 56 स्वरूप माने जाते हैं। यहां मोदक बनाने की परंपरा 10-15 साल पहले शुरू हुई थी। उससे पहले मोदक मुंबई से मंगवाकर भगवान को अर्पित किया जाता था। अभी वाराणसी में 4-5 दुकानदार ही असली मोदक बनाते हैं। हालांकि पूरे शहर में मोदक मिलता है। लेकिन, बड़ा गणेश मंदिर के बाहर बनने वाला मोदक सबसे खास माना जाता है। क्योंकि इसे परंपरागत तरीके से तैयार किया जाता है। पढ़िए कस्टमर रिव्यू ------------------------------ ये खबर भी पढ़ें... अखिलेश दुबे जिसे फंसा ले, उसे समाप्त करके ही छोड़ता, कानपुर में भाजपा नेता बोले- मुझे फंसाया तो घर बेचकर पैसे देता रहा कानपुर के रवि सतीजा। RSS में करीब 50 सालों से जुड़े हैं। इस वक्त यूपी बीजेपी के प्रदेश संयोजक हैं। राम मंदिर आंदोलन के वक्त लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा में माइक संभालते थे। मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव, हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी जैसे कई दिग्गज नेता रवि सतीजा के दोस्त हैं। पीएम मोदी की सभाओं में रवि मंच से केंद्र सरकार की सारी स्कीमों को कविता के जरिए सुना देते हैं। बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता कानपुर आता, तो रवि सतीजा से जरूर मिलता था। आखिर वह इतना पॉवरफुल कैसे हुआ? रवि सतीजा को कैसे फंसाया? रवि कैसे बचे? इन तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए हमने रवि से ही बात की। पढ़िए पूरी खबर...