यूपी के अफसर योगी के विधायकों की नहीं सुनते:129 जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछे; 11 बोले- नौकरशाह बेलगाम

Aug 23, 2025 - 06:00
 0
यूपी के अफसर योगी के विधायकों की नहीं सुनते:129 जनप्रतिनिधियों से सवाल पूछे; 11 बोले- नौकरशाह बेलगाम
तारीख- 24 जुलाई, 2025: प्रदेश सरकार की महिला कल्याण एवं बाल विकास राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला कानपुर देहात में धरने पर बैठ गईं। मंत्री ने भाजपा कार्यकर्ता पर झूठा केस दर्ज करने, मनमानी कार्यशैली का आरोप लगाते हुए अकबरपुर कोतवाली प्रभारी सतीश सिंह को हटाने की मांग की। कहा- अगर ऐसा नहीं किया गया तो जनता का पुलिस से भरोसा उठ जाएगा। तारीख- 5 अगस्त 2025: सीतापुर के कोरैया उदनापुर गांव में ट्रांसफॉर्मर खराब होने से 15-20 दिनों से बिजली गुल थी। ग्रामीणों ने कारागार राज्यमंत्री सुरेश राही से शिकायत की। मंत्री ने मध्यांचल विद्युत निगम की प्रबंध निदेशक रिया केजरीवाल को फोन किया। फोन न रिसीव होने पर उन्होंने JE रमेश मिश्रा से बात की। जेई ने कथित तौर पर अभद्रता करते हुए कहा, खुद आकर ट्रांसफॉर्मर उतरवा लो। मंत्री ने ग्रामीणों और कार्यकर्ताओं के साथ ट्रांसफॉर्मर उतारकर पावर हाउस पहुंचाया। वहां भी आनाकानी होने पर वे धरने पर बैठ गए। अधिकारी जनप्रतिनिधियों की बात सुन रहे हैं या नहीं? जनप्रतिनिधियों को उनके ही जिले में सम्मान मिल रहा है या नहीं? कितने विधायक हैं जो कह रहे हैं कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते? भाजपा के सहयोगी दल के विधायकों का क्या कहना है? इन सवालों का जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर ने सीधे विधायकों से बात की। 8.5 प्रतिशत विधायकों ने कहा- अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। दैनिक भास्कर ने सत्ता पक्ष के 290 विधायकों से संपर्क करने की कोशिश की। इसमें से 129 विधायकों ने फोन उठाया और बात की। 82 विधायक व मंत्रियों के पीएस ने फोन अटेंड किया और कहा कि नेताजी से बात कर पाना अभी संभव नहीं है। कुछ मंत्री समेत 58 विधायकों ने कॉल नहीं अटेंड की। 21 विधायकों के फोन स्विच ऑफ मिले। कई विधायक अधिकारियों के रवैये से परेशान हैं जिन विधायकों से दैनिक भास्कर की बात हुई, उनमें से 11 विधायकों ने सीधे तौर पर कहा- अधिकारी बेलगाम हो गए हैं। जनप्रतिनिधियों का सम्मान नहीं करते, उनके काम नहीं करते। 13 विधायकों ने कहा कि ‘इस पर मैं कुछ नहीं बोलूंगा, इससे मेरी ही इमेज खराब होगी।’ 105 विधायकों ने कहा कि ‘अधिकारी बात भी करते हैं, वैध काम भी करते हैं।’ इनमें से कुछ विधायकों का कहना था कि अधिकारी पर अनावश्यक नाजायज कामों का दबाव नहीं बनाया जाए तो वे पूरी बात भी सुनते हैं और काम भी करते हैं। ‘नाम मत लिखिएगा, सरकार की बदनामी होगी’ एक विधायक ने बातचीत के दौरान कहा कि ‘नाम न लिखिएगा। क्योंकि अपनी ही सरकार है, बदनामी होगी। अधिकारी जब मंत्रियों की बात नहीं सुन रहे हैं तो हम लोगों की क्या सुनेंगे, अपनी बात मनवाने के लिए मंत्रियों को धरने पर बैठना पड़ रहा है, उसके बाद भी बात नहीं सुनी जा रही है।’ कुछ ऐसे विधायक हैं जिन्होंने साफ तौर पर कहा कि इस बारे में वे कोई कमेंट नहीं करेंगे, अपनी सरकार है। ऐसे विधायकों की संख्या 13 रही। अपना दल के 12 में से दो विधायक अधिकारियों से नाराज अपना दल के 12 में से आठ विधायकों से हमारी बात हुई। इसमें से 2 विधायकों ने कहा कि, अधिकारी बात नहीं सुनते। जबकि शोहरतगढ़ से विधायक विनय वर्मा ने कहा कि नो कमेंट। विनय वर्मा वहीं विधायक हैं जो सिद्धार्थनगर में एसपी को हटवाने के लिए धरने पर बैठ गए थे। अपना दल के बाकी 4 विधायकों में से दो का फोन अटेंड नहीं हुआ, जबकि एक का फोन स्विच ऑफ था। वहीं एक विधायक के पीएस ने फोन अटेंड किया। सुभासपा के विधायकों ने फोन नहीं उठाया सुभासपा के विधायकों ने हमारा फोन ही नहीं उठाया। सुभासपा के कुल पांच विधायक हैं। इनमें पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर भी हैं। जो अपने कार्यकर्ताओं से कह चुके हैं कि ‘जब थाने जाओ तो पीला गमछा पहनकर 5-6 लोग एक साथ जाओ। तुम्हारी शक्ल में उस दराेगा को ओपी राजभर दिखेगा। देखते हैं कि कौन दरोगा नहीं सुनेगा। हम एक बार हौंकते हैं तो पूरा प्रदेश हिल जाता है।’ मंत्रियों का अलग दर्द सामने आया औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने कुछ दिन पहले पूर्व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों पर भ्रष्टाचार, पक्षपात और मनमानी के आरोप लगाए थे। नंदी ने सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिकायत की थी कि उनके निर्देशों की अवहेलना की जा रही है। फाइलें गायब हो रही हैं और चहेते लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया जा रहा है। वहीं, बलिया में परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे अधिकारियों और इंजीनियरों को फटकार लगाते नजर आए थे। यह मामला उनकी अनुपस्थिति में पुल के उद्घाटन का था। सीएम की बैठकों में शिकायतें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभिन्न मंडलीय बैठकों में मंत्रियों और विधायकों से अधिकारियों के खिलाफ शिकायतें सुनीं। विधायकों ने आरोप लगाया कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बृजभूषण ने कहा था- विधायक डीएम के पैर छूते हैं कैसरगंज से भाजपा के पूर्व सांसद ब़ृजभूषण शरण सिंह भी अफसरों के बात न सुनने पर सवाल उठा चुके हैं। ब़ृजभूषण शरण सिंह ने कहा था- ‘अपना काम करवाने के लिए विधायक डीएम तक का पैर छूते हैं।’ यह पूछे जाने पर विधायक पैर छूते हैं? बृजभूषण बोले- ’मतलब पैर छूकर नमस्कार करते हैं। काम करने के लिए निवदेन करते हैं। साहब की मर्जी है, काम करें या न करें। आज विधायकों की स्थिति जीरो है, क्योंकि पॉवर एक जगह सिमट गई है।’ एक पॉडकास्ट के दौरान उन्होंने ये भी कहा था कि इस मुद्दे पर ज्यादा बोलेंगे तो आग लग जाएगी। बता दें कि, बृजभूषण का एक बेटा विधायक और दूसरा बेटा सांसद है। हालांकि, हरदोई से विधायक और सरकार में आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल का कहना है कि अधिकारी खूब सुनते हैं। अधिकारियों के साथ आपका व्यवहार कैसा है, ये भी मायने रखता है। विधान परिषद में भी उठ चुका है बेलगाम अफसरशाही का मुद्दा 11 अगस्त से 14 अगस्त, 2025 तक चले विधान मंडल सत्र में भी अफसरों की बेलगामी का मुद्दा उठ चुका है। विधान परिषद में शिक्षक दल के नेता ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि ‘हमारे साथ अगर पुलिस कर्मी (गनर) नहीं है तो टोल प्लाजा वाले हमें विधायक भी नहीं मानते।’ अपने जिले का एक मामला उठाते हुए कहा था कि अधिकारी जनप्रतिनिधि की अनदेखी करते हैं। जिलों में होने वाले कार्यक्रमों के जो विज्ञापन छपते हैं, उसमें उनकी फोटाे तक नहीं छापी जाती। उन्होंने मुख्य सचिव के एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि विधान परिषद उच्च सदन है, यहां के सदस्य भी विधायक कहलाते हैं। लेकिन मुख्य सचिव अपने पत्र में विधायक और विधान परिषद सदस्य अलग-अलग लिखते हैं। प्रोटोकॉल का पालन करेंगे डीएम और एसपी विधान परिषद में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का कहना था कि इस तरह की शिकायतें और जगह से भी संज्ञान में आई हैं। इसके लिए कड़े से कड़े निर्देश दिए जाएंगे। जैसे हमारे विधानसभा के सदस्य हैं, वैसे ही विधान परिषद के भी हैं। जनप्रतिनिधियों का जो भी प्रोटोकॉल है, उसका पालन हर जिले के डीएम और एसपी करेंगे। इसके लिए निर्देश जारी किए जा रहे हैं। एक्सपर्ट बोले- टकराव होना स्वाभाविक वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र कुमार कहते हैं प्रदेश में 8 साल से भाजपा की सरकार है। कई विधायक ऐसे हैं, जिन्हें अपने क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए वे ठीकरा अधिकारियों पर फोड़ रहे हैं। वे जनता के सामने अपना चेहरा बचाना चाहते हैं। मामला सीतापुर जिले का हो या कानपुर देहात का, सामने कुछ दिखा और पर्दे के पीछे कुछ और था। इसमें भी कोई शक नहीं है कि सरकार का भरोसा अधिकारियों पर अधिक है। ऐसे में इस तरह के टकराव होने स्वाभाविक हैं। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस कहते हैं, ये हकीकत है कि जनप्रतिनिधियों की वैल्यू अधिकारियों की नजर में कम हुई है। मौजूदा भाजपा सरकार का जो पहला कार्यकाल था, उसमें भी कई विधायक विधानसभा के अंदर धरने पर बैठ गए थे। दूसरे कार्यकाल में मंत्री को धरना देना पड़ रहा है। इसकी सबसे बड़ी वजह है अफसरशाही पर मुख्यमंत्री का अधिक भरोसा। दरअसल मुख्यमंत्री संगठन के व्यक्ति नहीं हैं, उन्हें अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा रहता है। इसलिए अधिकारी भी बेलगाम हुए हैं। जो कुछ हो रहा है, वो कोई अप्रत्याशित चीज नहीं है। इससे पहले भी ऐसा होता रहा है और आगे भी होता रहेगा। ....................... ये खबर भी पढ़ें... 4 महीने से पेट पर आंत रखे है रेप पीड़िता:रामपुर की बच्ची का प्राइवेट पार्ट डैमेज, पेट चीरकर बनाया मल-मूत्र का रास्ता यूपी के रामपुर की रेप पीड़िता मंदबुद्धि बच्ची की फैमिली को कोर्ट से तो सिर्फ 4 महीने में इंसाफ मिल गया। लेकिन, 11 साल की यह बच्ची जिंदा लाश बनकर रह गई है। उसके प्राइवेट पार्ट में गहरी चोटें हैं। मल-मूत्र के लिए डॉक्टरों ने पेट चीरकर रास्ता बना रखा है। दोनों आंतें पेट के ऊपर रखी हैं, जो रूमाल के सहारे टिकी रहती हैं। बच्ची जब भी मल-मूत्र जाती है, पूरा पेट और रूमाल गंदा हो जाता है। ये ऐसा केस है, जिसमें पीड़ित परिवार कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं है। दोषी को उम्रकैद हुई, लेकिन परिवार उसको फांसी चाहता है। इसके लिए वो लोअर कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी में है। बच्ची की स्थिति कैसी है? परिवार की आर्थिक हालत क्या है? इस पर विस्तार से बात की। पढ़िए पूरी खबर...

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0