यूपी के मंत्री चौधरी ने RLD को क्यों कहा पनौती?:टिकट कटने से घबराए या कोई और वजह; 2027 में 75 पार हो जाएंगे

Aug 13, 2025 - 06:00
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यूपी के मंत्री चौधरी ने RLD को क्यों कहा पनौती?:टिकट कटने से घबराए या कोई और वजह; 2027 में 75 पार हो जाएंगे
प्रदेश के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण ने भाजपा और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के गठबंधन पर सवाल खड़े कर नए विवाद को जन्म दे दिया है। लक्ष्मीनारायण ने बयान देकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के निर्णय पर सवाल खड़ा किया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उम्र के 75वें पड़ाव में कदम रख चुके लक्ष्मी नारायण ने अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने का दांव चला है। पहले जानिए मंत्री ने कहा क्या था? पनौती है RLD, जिसके साथ गठबंधन, उसका सूपड़ा साफ 10 अगस्त को लक्ष्मी नारायण चौधरी ने मथुरा में दैनिक भास्कर से कहा, जिस भी पार्टी के साथ RLD (राष्ट्रीय लोक दल) ने गठबंधन किया, उसका सूपड़ा साफ हो गया। इसी वजह से 2024 के लोकसभा चुनाव में NDA को 400 के टारगेट के मुकाबले सिर्फ 240 सीटें मिलीं। रालोद के गठबंधन से भाजपा का बंटाधार हो गया। 2004 में अटल (बिहारी वाजपेयी) जी के समय में जब भाजपा के साथ RLD का गठबंधन हुआ था, तो मैंने तत्कालीन सीएम राजनाथ सिंह को RLD के ‘पटपांव’ (पनौती) होने को लेकर आगाह किया था। गठबंधन के बाद भी भाजपा मुजफ्फरनगर और कैराना जैसी सीटें हार गई। चौधरी लक्ष्मी नारायण के इस बयान के बाद भाजपा बचाव की मुद्रा में आ गई है, पार्टी ने लक्ष्मी नारायण के बयान से किनारा कर लिया है। उधर, जानकारों का मानना है कि लक्ष्मी नारायण चाहते हैं कि 2027 में भाजपा फिर से उन्हें ही मौका दे। यदि उम्र की सीमा आड़े आती है तो उनके परिवार में से किसी को टिकट दे। लक्ष्मी नारायण के परिवार कई सदस्य राजनीति में हैं। उनके परिवार में भी राजनीतिक विरासत को लेकर द्वंद है कि किसे विरासत मिलेगी? शीर्ष नेतृत्व के निर्णय पर सवाल राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लक्ष्मी नारायण चौधरी ने RLD यानी रालोद के खिलाफ यह बयान देकर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के निर्णय पर प्रश्न चिंह लगाया है। रालोद से भाजपा का गठबंधन पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की रणनीति के तहत हुआ था। उनका कहना है कि लक्ष्मी नारायण सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी हैं। ऐसे में उनके इस बयान के कई राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। जयंत का तेजपाल के यहां जाना अखर गया राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चौधरी लक्ष्मी नारायण को रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी का छाता सीट से रालोद प्रत्याशी रहे तेजपाल के घर जाना अखर गया। तेजपाल ने 2012 में लक्ष्मीनारायण को चुनाव हराया था। जानकार मानते हैं कि जयंत और तेजपाल की मुलाकात के बाद छाता में यह चर्चा शुरू हो गई है कि जयंत 2027 में तेजपाल के बेटे को यहां से रालोद-भाजपा गठबंधन का उम्मीदवार बनाएंगे। यदि ऐसा होता है तो लक्ष्मीनारायण का टिकट कट जाएगा। लक्ष्मी नारायण को यही बात अखर गई है, इसलिए वह ऐसा बयान दे रहे हैं। दबाव की राजनीति कर रहे लक्ष्मी नारायण राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र प्रताप राणा बताते हैं, लक्ष्मी नारायण चौधरी खुद पहला चुनाव चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाले लोकदल से रहे हैं। लेकिन बीते कई सालों से रालोद और जयंत चौधरी के खिलाफ चल रहे हैं। लक्ष्मी नारायण खुद राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं। उनके हर बयान के पीछे कोई न कोई कारण होता है। उनका रालोद के खिलाफ बयान देने के पीछे बड़ी वजह है। उनकी खुद की सीट छाता भी खतरे में है। विधानसभा चुनाव 2027 से पहले वह 75 साल के हो जाएंगे, ऐसे में उनका टिकट कट सकता है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि यह सीट रालोद को जा सकती है। सीएम योगी से मिले जाट विधायक भाजपा के जाट विधायकों ने मंगलवार शाम सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। इसमें योगेश धामा, विधायक राजेश चौधरी, जाट नेता राजकुमार चाहर, जितेंद्र सिंह चाहर, वासुदेव फौजदार और केदार सिंह चाहर शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक मुलाकात में जाट नेताओं ने लक्ष्मी नारायण के बयान पर अपनी राय भी प्रकट की। रालोद और चौधरी में छत्तीस का आंकड़ा राजनीतिक विश्लेषक राणा बताते हैं कि चौधरी लक्ष्मी नारायण और रालोद के बीच अब छत्तीस का आंकड़ा है। लक्ष्मी नारायण रालोद के किसी भी विधायक या सांसद को राजनीतिक रूप से पनपने नहीं देना चाहते हैं। वह बताते हैं कि योगी सरकार में रालोद के इकलौते मंत्री अनिल कुमार ने कुछ दिनों पहले बागपत में गन्ना विभाग के अधिकारियों और डीएम को मीटिंग में बुलाया था। मीटिंग में मोदी ग्रुप की मलकपुर चीनी मिल पर गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर चर्चा होनी थी। लेकिन लक्ष्मी नारायण ने मीटिंग से पहले ही गन्ना विभाग के अधिकारियों को मीटिंग में जाने से मना कर दिया। मंत्री अनिल कुमार ने इससे नाराजगी भी जताई थी। चौधरी ने की चौधरी से बात चौधरी लक्ष्मीनारायण के बयान विवादित बयान के बाद रालोद के विधायकों ने सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह से मुलाकात कर बयान पर नाराजगी जाहिर की थी। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने लक्ष्मी नारायण चौधरी से फोन पर बात की। उन्होंने उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने की सलाह दी। आखिर में चौधरी लक्ष्मी नारायण का सियासी सफर... लक्ष्मी नारायण चौधरी की सियासत ही RLD से शुरू हुई थी। चौधरी ने लोकदल के टिकट पर 1985 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता। छाता सीट पर भाजपा के किशोरी श्याम को हराया था। इसके बाद 1989 और 1993 का चुनाव भी लोकदल के टिकट पर लड़ा, लेकिन हार देखनी पड़ी। 1996 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 2006 में उन्होंने बसपा जॉइन की और मायावती ने उन्हें मंत्री बनाया था। उनकी छवि एक बड़े जाट नेता के रूप में स्थापित थी। जाट बहुल क्षेत्रों में आंदोलन को शांत करने के लिए उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती की काफी मदद की थी। लेकिन 2015 में उन्होंने पाला बदल लिया और वह BJP में शामिल हो गए। योगी सरकार के दोनों कार्यकाल में वे मंत्री हैं। --------------------- ये खबर भी पढ़ें... मकबरे पर भगवा लहराने पर विधानसभा में हंगामा:माता प्रसाद बोले- भाजपा दंगा कराना चाहती है, हम झुकेंगे नहीं; जोरदार नारेबाजी यूपी विधानसभा में दूसरे दिन फतेहपुर के मकबरे में भगवा झंडा लगाने और तोड़फोड़ का मामला छाया रहा। नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने कहा कि संगठित ढंग से एक पार्टी के नेता ने ऐलान किया। कहा, ये मकबरा हिंदुओं का है। पुलिस ने बैरिकेडिंग की, लेकिन भीड़ घुस गई। सौहार्द बिगाड़ने का काम चल रहा है। मदरसों और मकबरों को तोड़ो, जिससे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़े। पढ़ें पूरी खबर

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