यूपी में एक लाख दो, डेढ़ लाख का बिल माफ:बिजली विभाग का JE बोला- पूरा पैसा कैश में चाहिए, ऊपर भी देना है

Sep 13, 2025 - 06:00
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यूपी में एक लाख दो, डेढ़ लाख का बिल माफ:बिजली विभाग का JE बोला- पूरा पैसा कैश में चाहिए, ऊपर भी देना है
'आपके कनेक्शन पर डेढ़ लाख बकाया है। घर जाकर लोड चेक करुंगा तो यह 4 लाख पहुंच जाएगा। एक लाख दे दो, सब सेटलमेंट कर दूंगा। बस पैसा कैश चाहिए, ऊपर भी कैश ही देना पड़ता है। दो नंबर के पैसे का खाते से कोई लेनदेन नहीं होता।' यह कहना है सिद्धार्थनगर में तैनात बिजली विभाग के जूनियर इंजीनियर जितेंद्र दुबे का। ये 'दैनिक भास्कर' के खुफिया कैमरे पर रुपए के बदले बकाया बिजली बिल के सेटलमेंट का पूरा गणित समझा रहे हैं। यानी बिजली विभाग भले ही घाटे में रहे, लेकिन अफसर खूब कमाई कर रहे हैं। इधर, 12 सितंबर को लखनऊ में बिजली विभाग से परेशान युवक अजय कुमार ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। अजय बुलंदशहर का रहने वाला था। उसने आटा चक्की लगाई, लेकिन ट्रांसफॉर्मर खराब होने से धंधा ठप हो गया। नया ट्रांसफॉर्मर लगाने के लिए उससे 70% खर्च मांगा जा रहा था, जिससे आहत होकर उसने ये कदम उठाया। बिजली विभाग के अफसरों की काली कमाई के ऐसे खेलों को एक्सपोज करने के लिए भास्कर की टीम खुद पीड़ित बनकर जेई के पास पहुंची। भास्कर के इन्वेस्टिगेशन में देखिए और पढ़िए बिजली विभाग में सेटलमेंट के नाम पर कैसे आम लोगों से रिश्वत ली जा रही है… सिद्धार्थनगर के बिजली उपकेंद्र ‘उसका बाजार’ से जुड़े कुछ बड़े व्यापारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ से गोपनीय शिकायत की। आरोप लगाया था कि बिजली विभाग के अफसर दबाव बनाकर अवैध वसूली कर रहे हैं। शिकायतकर्ताओं ने पहचान गोपनीय रखते हुए भास्कर को इसकी जानकारी दी थी। बिजली विभाग में अवैध वसूली का पूरा सिस्टम समझने के बाद हमने स्टिंग का प्लान बनाया। इन्वेस्टिगेशन में हमें यह समझ आया कि पूरे खेल में बिजली के बड़े बकायादारों को निशाना बनाया जा रहा है। इसलिए हमने डेढ़ लाख बकाया वाले कंज्यूमर के रिश्तेदार बनकर फीडर के जेई जितेंद्र दुबे को कॉल किया। उन्होंने मिलने के लिए जूनियर इंजीनियर कार्यालय में बुलाया और एक लाख रुपए की रिश्वत की मांग कर कनेक्शन परमानेंट डिस्कनेक्शन (PD) की बात की... जेई ने कहा- दो पैसा हमको भी मिल जाए रिपोर्टर - सर, भैया से आपकी बात करा दूं? मैने 10 हजार बढ़ाकर बताया है। मुझे भी तो कुछ चाहिए। जितेंद्र दुबे - हां-हां… कोई बात नहीं, आप ले लीजिएगा, मुझे तो एक लाख चाहिए। रिपोर्टर - भैया बोले हैं, कनेक्शन बंद कर नया कनेक्शन दे दीजिए। रसीद नहीं भी देंगे तो चलेगा। जितेंद्र दुबे - ठीक है… हो जाएगा, बकाया वाला क्लोज कर नया कनेक्शन लगवा दूंगा। रिपोर्टर - सर, दोबारा बकाया बिल तो नहीं आएगा, क्योंकि अपने पास तो रसीद भी नहीं होगी। जितेंद्र दुबे - मैं ही पूरी रिपोर्ट लगाता हूं, एक बार जो कनेक्शन बंद हो गया, उस अकांउट से कभी खुलता ही नहीं। (हाथ से पैसे का इशारा कर बोले– सब कुछ इसी पर होता है) रिपोर्टर - सर, देख लीजिए, आप कैसे फायदा करा सकते हैं? जितेंद्र दुबे - मैं तो वही करूंगा, जिसमें दो पैसा हमको भी मिल जाए, उनका भी बच जाए। भाई बनकर कॉल पर था दूसरा रिपोर्टर, जेई ने समझाया 2 नंबर का काम जेई के पास जाने से पहले ही एक और रिपोर्टर को कॉल पर भाई बनकर बात कराने का हमने प्लान बना रखा था। रिपोर्टर जेई के पास पहुंचकर दूसरे रिपोर्टर को बैंगलुरु में रहने वाला भाई बताकर कॉल किया तो जेई को काम और मोटी रकम दोनों पर भरोसा हो गया। जेई ने भाई (रिपोर्टर) को नंबर एक और नंबर दो का काम समझाया। जेई ने कहा– बकाया पूरा पैसा सरकार के खाते में जमा हो गया तो किसी का फायदा नहीं होगा। इसलिए कनेक्शन को पूरी तरह से बंद कर नए कनेक्शन और डेढ़ लाख के बकाया को एक लाख में निपटा देंगे। जेई ने दावा किया– जो भी रिपोर्ट लगाएंगे, उसकी जांच नहीं होगी। रिपोर्ट लगाकर कनेक्शन बंद करवा दिया तो बिजली विभाग में उस अकाउंट को दोबारा खोला ही नहीं जा सकता है। यानी एक सेटिंग में बकाया का पूरा लेखा–जोखा साफ हो जाएगा। JE बोला- छापेमारी कराओ, सेटिंग में हिस्सा देंगे जेई जितेंद्र दुबे डील के दौरान दो मुलाकात में ही रिपोर्टर से खुल चुके थे, क्योंकि हमारे केस में हमने जेई के सामने भाई से एक लाख की जगह 1.10 लाख की डिमांड की थी, इसमें जेई 10 हजार रुपए हमारा कमीशन मान रहा था। इसलिए उसे लगा कि छापेमारी और सेटलमेंट का काम करा सकते हैं। उसने हमें ऑफर दिया– बिजली चोरी की सूचना देकर रेड कराइए, फिर सेटलमेंट में जो हिस्सा आएगा, उसमें आपका भी हो जाएगा। लाइनमैन बोला- बड़े साहब से मिलकर काम होता है जेई से डील में यह बात साफ हो गई कि अवैध वसूली में लाइनमैन से लेकर कर्मचारी तक शामिल हैं। लिहाजा हमने जेई के नीचे काम करने वाले कुछ किरदारों को भी पकड़ा। इसमें पहला नाम सामने आया लाइनमैन संजय का, जो जेई के दो नंबर के पैसे का बड़ा एजेंट हैं। संजय ने मिलने से इनकार कर दिया, लेकिन वॉट्सऐप कॉल पर कई चौंकाने वाले खुलासे किए… मीटर रीडर का काम छापेमारी करना, फिर डील कराना जेई और लाइनमैन से डील के बाद हमें मीटर रीडर सुनील मिश्रा की जानकारी मिली। शहर में कंज्यूमर की रेकी कर छापेमारी कराने, फिर सेटिंग कराकर पैसा कमाते हैं। रिपोर्टर से सुनील ने भी डील की… रिपोर्टर - मेरा काम आप अपने स्तर से करा सकते हैं क्या? सुनील - आप जेई से मिल चुके हैं, बिल भी देखा होगा, नहीं तो हम करवा ही देते। रिपोर्टर - कितने में हो जाता आपके माध्यम से? सुनील - आधे से भी कम में आपका काम हो जाता, 50 हजार में पूरा सेट हो जाता। रिपोर्टर - तब तो हमारा बहुत घाटा हो गया। सुनील - इसके (जेई) नॉलेज में हो गया, नहीं तो अलग जगह से हो जाता। रिपोर्टर - कौन करेगा? सुनील - करेंगे तो एसडीओ ही ना। स्मार्ट मीटर के लिए कमीशन का अलग चैनल सिद्धार्थनगर में स्मार्ट मीटर में कमीशन का चैनल सामने आया। इसमें लाइनमैन व जेई के साथ एजेंट अभिषेक त्रिपाठी का नाम सामने आया। एजेंट अभिषेक स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी के लिए काम करता है। बिजली विभाग के कर्मियों से बातचीत में पता चला कि अभिषेक पहले कंज्यूमर की शिकायत कराता है, फिर जेई छापेमारी कर दबाव से पैसा वसूलता है। इसमें अभिषेक, जेई और लाइनमैन का हिस्सा होता है। इस स्टिंग में 2 बातें सामने आई पहली – डेढ़ लाख का बिजली बिल माफ करने के लिए जेई 1 लाख रुपए मांग रहा है। इसमें वह 60 हजार की रसीद देने और 40 हजार रिश्वत में लेने की बात स्वीकार रहा है। दूसरी – मीटर रीडर सुनील मिश्रा के मुताबिक 2 से ढाई लाख रुपए तक का बिजली बिल 15-20 हजार रुपए में खुद विभाग ही सेटलमेंट कर देता है। हमारे इन्वेस्टिगेशन में ये निकला राजस्व वसूली पर सख्ती, शिकायत पर खामोश सिद्धार्थनगर के डीएम डॉ. राजागणपति आर राजस्व वसूली को लेकर काफी सख्त हैं। हर माह बिजली विभाग के अफसरों की क्लास लगाते हैं। कम राजस्व वसूली वाले अफसर तो समीक्षा बैठक में उनके रडार पर होते हैं। सीएम से व्यापारियों की गोपनीय शिकायत और भास्कर के स्टिंग में जेई की वसूली के खुलासे का हवाला देकर हमने डीएम से सवाल किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। ऑफ कैमरा बस इतना बोले- कार्रवाई होगी। मंत्री तक पहुंचा मामला, जांच के घेरे में कई अफसर दैनिक भास्कर ने यूपी सरकार के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा को पूरे मामले की जानकारी दी। उन्होंने जांच कराने की बात कही, लेकिन यह नहीं बताया कि किस स्तर से जांच कराएंगे। ---------------------- ये खबर भी पढ़ें... यूपी में कैमरे पर लाशों का सौदा:पोस्टमॉर्टम कर्मचारी-पुलिस की डील, बोले- एक लाश डेढ़ लाख में 'महीने में 30 से 40 लाशें निकल जाती हैं। आप बहुत कम दे रहे हैं। अभी पुराना रिकॉर्ड देखा जाए… उस समय डेढ़ लाख का रेट चल रहा था। राममूर्ति वाले डेढ़ लाख रुपए देकर जाते थे।' यह दावा है बरेली के पोस्टमॉर्टम हाउस के कर्मचारी सुनील का। यूपी के बरेली में लाशों का सौदा हो रहा है। दैनिक भास्कर के हिडन कैमरे पर सुनील कह रहा है- जो पैसे आप हमें दोगे, हम तो नमक के बराबर रखते हैं। बाकी पैसे ऊपर अधिकारी को देने पड़ते हैं। लाशों के इस सौदे में पुलिस भी शामिल है। पढ़ें पूरी खबर

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