रक्षाबंधन पर राखियों का बाजार सजा है। कानपुर शहर में हैंडमेड राखियों का चलन भी देखा जा रहा है । शोरूम में भी राखियों की अलग वैराइटी मिल रहीं है। शहर के शोरूम में कुछ इस तरह की भी राखियां हैं, जो बाजार में पहली बार आई हैं। इनमें से लुंबा नाम की राखी बाजार में खास नजर आ रही है। स्वरूप नगर के एक बुटीक शोरूम मालकिन ने बताया कि हैंडमेड राखियों के साथ लुंबा राखी है, जो मारवाड़ी राखी हुआ करती थी। अब शहर में भी खूब पसंद की जा रही है और उनकी खूब डिमांड है। कई शहरों से राखी बनाने का लाते हैं मटेरियल
स्वरूप नगर स्थित शृंगार श्री शांभवी ने बताया कि अलग-अलग शहरों से हम लोग राखी बनाने का मटेरियल लाते हैं। इनमें दिल्ली मुंबई कोलकाता शहरों से हैंडमेड राखियां बनवाई भी जाती है। इसके लिए मार्च के महीने से तैयारी शुरू कर दी जाती है। कोलकाता मुंबई जैसे शहरों से राखी बनाए जाने के लिए मटेरियल भी जाते हैं। इसके बाद महिला कारीगर राखियों को बनाने का काम करती हैं। राखी महिला कारीगर गायत्री वर्मा ने बताया राखी बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। धागों के साथ नंग को पिरोना और मजबूती देने का काम करना पड़ता है। इसलिए सौ राखियां बनाने में एक दिन का समय लग जाता है। हाथ से बनी हुई राखियों की यह विशेषता होती है, कि इनमें अधिक मजबूती होती है। इस शो रूम की बात की जाए तो यह बुटीक का काम करने वाली महिला कारीगर जिनमें , गायत्री वर्मा ,तान्या , आरती शर्मा और रुचि वर्मा मिलकर ही राखी हाथों से बनाने का काम करती हैं। 10 साल पहले राखियों का काम बुटीक में शुरू किया
मंजू डालमिया ने बताया की 2006 में बुटीक की शुरुआत की थी। क्योंकि यहां पर सभी चीज हाथों से तैयार की जाती है। इसलिए 10 साल पहले रियो को भी शुरुआत की गई जिसका अच्छा रिस्पांस मिला । शहर के बाजार में विशेष राखियां
बाजारों में धागे वाले राखियों की डिमांड ज्यादा देखी जा रही है। ऐसे में बाजार में राखियों की कीमत 30 रुपए से लेकर 700 रुपए तक दिखाई दे रही है। धागों में सबसे ज्यादा मजबूत धागों से बनी राखियों की डिमांड है। सिंगल नग और ब्रेसलेट टाइप की राखियों का भी क्रेज बाजारों में दिखाई दे रहा है।