इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अवैध रूप से विपक्षियों द्वारा निरूद्ध रश्मि को 18 अक्टूबर शनिवार को अदालत में 12 बजे पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट में दीपावली की छुट्टी होने के बाद भी कोर्ट ने महानिबंधक को कोर्ट संख्या 43 में बैठने का इंतजाम करने का आदेश दिया है। रश्मि और शाने अली बालिग हैं और साथ साथ रह रहे हैं। दोनों शादी करना चाह रहे हैं। हाईकोर्ट में पेश होने के बाद वे सिविल लाइंस गये और उसके बाद अचानक लापता हो गए हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय तथा न्यायमूर्ति दिवेश चंद्र सामंत की खंडपीठ ने तहसीम व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। रश्मि व शाने अली यह अन्तर धार्मिक जोड़ा इसी सप्ताह की शुरुआत में अदालत में पेश होने के तुरंत बाद कथित तौर पर लापता हो गया था। जिसके बाद उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट सुनवाई के लिए छुट्टी में भी बैठेगी। पीठ ने कहा, "हमें पता है कि कल कार्य दिवस नहीं है। फिर भी, प्रतिवादी न्याय कक्ष संख्या 43 में कॉर्पस प्रस्तुत करेंगे और कार्यालय न्यायालय की बैठक के लिए आवश्यक व्यवस्था करेगा।" याचिका में आरोप लगाया गया है कि बालिग दंपति, शाने अली और रश्मि, 15 अक्टूबर को उच्च न्यायालय परिसर से निकलने के बाद लापता हो गए। जहां वे अपने रिश्ते से संबंधित आपराधिक रिट याचिकाओं में उपस्थित हुए थे। याचिका के अनुसार, सुनवाई पूरी होने के बाद दोनों अदालत परिसर से चले गए और तब से उन्हें नहीं देखा गया। उसी दिन शाम लगभग 5 बजे, शाने अली ने कथित तौर पर अपने भाई को फोन करके बताया कि वह और रश्मि प्रयागराज के पीवीआर सुभाष चौराहे के पास एक ई-रिक्शा में हैं और रश्मि के पिता और कुछ अन्य लोग उनका पीछा कर रहे हैं। इस कॉल के कुछ ही देर बाद शाने अली का फोन बंद हो गया। तब से न तो उसका और न ही रश्मि का कोई पता चल पाया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि उसी शाम यह घटना अदालत के संज्ञान में लाई गई थी, जिसके बाद सरकारी वकील को प्रयागराज के सिविल लाइंस थाने के प्रभारी को सूचित करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, याचिका में कहा गया है कि परिवार द्वारा थाने जाने के बावजूद कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई और पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की, पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल खड़े किए गए हैं। याचिका में यह भी बताया गया है कि 15 अक्टूबर की सुनवाई के दौरान, रश्मि ने पीठ के समक्ष बयान दिया था कि वह अपनी मर्जी से शाने अली के साथ रह रही है और उससे शादी करना चाहती है। जोड़े ने पहले भी रश्मि के परिवार से मिल रही धमकियों का हवाला देते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी। याचिका के अनुसार, इस साल की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने रश्मि और शाने अली को दो महीने की सुरक्षा भी प्रदान की थी। इसके बावजूद पुलिस ने "सुरक्षा प्रदान नहीं की और शाने अली के परिवार के सदस्यों को परेशान करना जारी रखा।" याचिका में शाने अली के भाई को सितंबर में कथित रूप से अवैध हिरासत में रखने का भी उल्लेख किया गया है, जिसे एक अलग बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के बाद रिहा किया गया था। याचिका में दावा किया गया है कि रश्मि और शाने अली दोनों बालिग हैं, सहमति से साथ रह रहे हैं, और उनके लापता होने के पीछे रश्मि के परिवार की भूमिका होने की आशंका है। मामले की गंभीरता और मानव स्वतंत्रता के हनन की आशंका को देखते हुए, हाईकोर्ट ने अब खुद मामले को अपने हाथ में लिया है और विशेष सुनवाई का फैसला किया है।