लखनऊ के पंडित गोविंद बल्लभ पंत सांस्कृतिक उपवन में उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा 'कॉंफव डांडिया नाइट' का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तराखण्डी संस्कृति और लोकधुनों का अद्भुत संगम देखने को मिला। उपस्थित लोग पहाड़ी गीतों और पारंपरिक डांडिया पर देर रात तक थिरकते रहे। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और 'जय बद्री विशाल' के उद्घोष के साथ हुई। इसके बाद 'बेडू पाको बारामासा', 'फुलदेई छम्मा छम्मा', 'म्यर पहाड़', 'झुमका गिरा रै नैनीताल मा', 'छोड़ दे दैय्या बासंती' और 'घुघूती बसूती' जैसे लोकप्रिय पहाड़ी गीतों पर पारंपरिक डांडिया प्रस्तुतियां दी गईं। ढोल-दमाऊं, हुड़का और रणभेरी की थाप ने कार्यक्रम में उत्साह भर दिया। डांडिया उत्सव में पहाड़ी धुनों पर थिरकते नजर आए इस आयोजन में बड़ी संख्या में महिलाएं, युवा और वरिष्ठ नागरिक शामिल हुए। पुष्पा वैष्णव, हेमा बिष्ट, शशि जोशी, हरितिमा पंत, पूनम कंवल, देवश्री पंवार, सुनीता रावत, कमला चुफ़ाल, मनीषा चिलवाल और शोभा रावत ने सक्रिय भागीदारी की। जगत सिंह राणा, महेंद्र गैलाॅकोटी, राजेश बिष्ट, पूरन सिंह जीना, कैलाश सिंह और पंकज खर्कवाल जैसे गणमान्य व्यक्ति भी पहाड़ी धुनों पर थिरकते नजर आए। कल्याणपुर, कुमाऊँचाल नगर, तेलीबाग, गोमतीनगर, पंतनगर और अलीगंज से आए लोक कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य और गीत प्रस्तुत कर दर्शकों को उत्तराखण्ड की संस्कृति से परिचित कराया। महापरिषद के पदाधिकारियों ने बताया कि इस डांडिया नाइट का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को उनकी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ना और उत्तराखण्डी अस्मिता को मजबूत करना है। 9 से 18 नवम्बर तक उत्तराखण्ड महोत्सव-2025 यह रंगारंग कार्यक्रम मध्यरात्रि तक चला और इसका समापन सामूहिक 'घुघूती बसूती' प्रस्तुति के साथ हुआ। इस आयोजन ने आगामी उत्तराखण्ड महोत्सव-2025 (9 से 18 नवम्बर) के लिए एक भव्य सांस्कृतिक प्रस्तावना तैयार की है। उत्तराखण्ड महोत्सव-2025 के मुख्य कार्यक्रम की झलकियाँ इस प्रकार हैं: सुबह 10:00 बजे स्वदेशी उत्पादों की प्रदर्शनी, दोपहर 2:00 बजे झोड़ा नृत्य, शाम 4:00 बजे छोलिया नृत्य, शाम 6:30 बजे महोत्सव का भव्य उद्घाटन और शाम 7:00 बजे 'नाचेगा भारत' विशेष सांस्कृतिक संध्या। ब्राह्मकमल सांस्कृतिक समिति, आर्ट एंड कल्चरल ग्रुप, देवभूमि जनसरोकार समिति सहित कई दल लखनऊ में उत्तराखण्डी संस्कृति और लोककला की झलक पेश करेंगे।