लखनऊ भारतेन्दु नाट्य अकादमी के रंगमंच निदेशालय ने संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में नाटक 'मकान नं. 7, मनाली' का मंचन किया। यह नाटक नार्वेजियन नाटककार हेनरिक इब्सन के 'जॉन गैब्रियल बोर्कमैन' का भारतीय रूपांतरण है। कहानी को 1996 के भारत की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है। नाटक का मुख्य किरदार विक्रम देवव्रत एक पूर्व चिट फंड कंपनी मालिक है। वह मनाली के मकान नंबर 7 में अकेला रहता है। अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते उसने जनता के पैसों का दुरुपयोग किया। इस धोखाधड़ी के लिए उसे जेल की सजा भी काटनी पड़ी। वह चाहती है कि राज परिवार की खोई प्रतिष्ठा वापस लाए विक्रम की पत्नी चंद्रा देवव्रत अपने बेटे राज के भविष्य को लेकर चिंतित है। वह चाहती है कि राज परिवार की खोई प्रतिष्ठा वापस लाए। विक्रम की पूर्व प्रेमिका और चंद्रा की बहन ईशा राठी ने राज की परवरिश की है। वह चाहती है कि राज उसकी विरासत को आगे बढ़ाए। राज इन सभी अपेक्षाओं को नकारते हुए अपना रास्ता चुनता है। वह एक धनी तलाकशुदा महिला सोनिया के साथ विदेश चला जाता है। नाटक का यह अप्रत्याशित अंत दर्शकों को मनोवैज्ञानिक और पारिवारिक संबंधों की जटिलताओं से रूबरू कराता है। दर्शकों ने कलाकारों के प्रदर्शन की भरपूर सराहना की।