उत्तराखंड में हुई भारी बरसात और बादल फटने की घटनाओं का असर अब संभल की गंगा नदी पर दिखाई दे रहा है। गंगा का जलस्तर तीन लाख क्यूसेक से अधिक हो गया है। इससे जनपद के लगभग 42 गांवों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। नरौरा और राजघाट में गंगा का पानी खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। राजघाट में स्थिति इतनी गंभीर है कि घाट पर बैठने की जगह भी नहीं बची है। बाढ़ के पानी से शांति उपवन मार्ग पूरी तरह बंद हो गया है। जनपद संभल की गुन्नौर तहसील में गंगा के बढ़ते जलस्तर से स्थानीय प्रशासन और निवासियों की चिंता बढ़ गई है। नरौरा बैराज पर एक ही दिन में गंगा का जलस्तर 69,000 क्यूसेक बढ़ गया है। वर्तमान में बैराज पर 3.06 लाख क्यूसेक पानी है, जिसमें से 3.05 लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। राजघाट में गंगा का जलस्तर 1924 के हाईफ्लड लेवल तक पहुंच गया है, जो अत्यंत खतरनाक माना जाता है। प्रशासनिक आंकड़ों के अनुसार, संभल में ढाई लाख क्यूसेक पानी होने पर ही बाढ़ का खतरा उत्पन्न होता है, जबकि अब यह तीन लाख क्यूसेक से अधिक हो गया है। नरौरा बैराज पर जलस्तर खतरे के निशान से 62 सेंटीमीटर ऊपर दर्ज किया गया है। जल निकासी 2,81,676 क्यूसेक से बढ़कर 3,05,041 क्यूसेक प्रति सेकंड तक पहुंच गई है। इस बीच गंगावास गांव के बांध में दरार पड़ने से गंगा का पानी आसपास के खेतों में भर गया। इससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। एसडीएम डॉ. वंदना मिश्रा, तहसीलदार रविन्द्र विक्रम, सिंचाई विभाग के एसडीओ अंकित सिंह और थाना प्रभारी अखिलेश प्रधान तुरंत मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों और मजदूरों की मदद से प्लास्टिक बैग में मिट्टी भरकर दो घंटे में दरार को पाट दिया गया। तेजी से बढ़ते पानी के कारण शांति उपवन जाने वाली सड़क जलमग्न हो गई है। बरेली-अलीगढ़ रेल लाइन के राजघाट पुल पर सुरक्षा कारणों से ट्रेनों की गति धीमी कर दी गई है।