संभल में मंगलवार दोपहर 2 बजे शीतलहर के चलते स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस का आयोजन सूक्ष्म तरीके से किया गया। आर्य समाज से जुड़े लोगों ने हवन में आहुति दी और स्वामी श्रद्धानंद के जीवन पर प्रकाश डाला। यह कार्यक्रम संभल कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला देर स्थित दयानंद बाल मंदिर जूनियर हाईस्कूल में आर्य समाज मंदिर की ओर से आयोजित किया गया। इसमें वक्ताओं ने छात्र-छात्राओं को स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस के महत्व और उनके जीवन दर्शन से अवगत कराया। वक्ताओं ने बताया कि 23 दिसंबर का दिन स्वामी श्रद्धानंद जैसे अमर बलिदानियों की याद दिलाता है। उन्होंने भगवा वस्त्र धारण कर धर्म की रक्षा की, ब्रिटिश हुकूमत और सांप्रदायिक शक्तियों को चुनौती दी और राष्ट्रवाद की अलख जगाई। स्वामी श्रद्धानंद (पूर्व नाम मुंशीराम) का जीवन निर्भयता का प्रतीक था। स्वामी श्रद्धानंद (मूल नाम मुंशीराम विज) का जन्म 22 फरवरी, 1856 को पंजाब में हुआ था। वे एक महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और आर्य समाज के संन्यासी थे। उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी की स्थापना की, शुद्धि आंदोलन चलाया और अछूतोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 23 दिसंबर, 1926 को एक कट्टरपंथी ने उनकी हत्या कर दी थी, जो भारतीय संस्कृति और स्वराज के प्रति उनके समर्पण का प्रतीक है। सुशील कुमार आर्य ने बताया कि स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस हर साल की तरह इस साल भी मनाया जा रहा है, जिसमें आर्य समाज के समस्त पदाधिकारीगण एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इस अवसर पर महिला प्रधान विनोदवाला रस्तोगी, प्रधानाचार्य जेपी शर्मा, कमलेश कुमार, संजीव कुमार भारद्वाज, संजय सिंह, अरविंद सक्सेना, विष्णुशरण रस्तोगी और रमेश चंद्र वर्मा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।