हथिनी मिया ने सर्कस से बचाए जाने के बाद अपने पुनर्वास और देखभाल के दस साल पूरे कर लिए हैं। उसे 2015 में वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग के संयुक्त अभियान के तहत तमिलनाडु के एक सर्कस से मुक्त कराया गया था। मिया का अधिकांश जीवन कठोर प्रशिक्षण और प्रदर्शन के माहौल में बीता था, जहाँ उसके स्वास्थ्य और व्यवहार को अनदेखा किया गया। बचाव के समय मिया की स्थिति गंभीर थी। वह लंबे समय से चोटों, शारीरिक तनाव और कुपोषण से जूझ रही थी। मथुरा स्थित हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र लाए जाने पर विशेषज्ञों ने पाया कि उसकी दोनों आँखों में कॉर्नियल अपारदर्शिता विकसित हो चुकी थी, जिससे उसकी दृष्टि प्रभावित थी। उसके आगे के पैरों के नाखून भी क्षतिग्रस्त थे, जिससे चलना दर्दनाक था। मिया को निरंतर देखभाल, चिकित्सकीय उपचार दिया गया पिछले एक दशक में मिया को निरंतर देखभाल, चिकित्सकीय उपचार और विशेष वृद्धावस्था सुविधा प्रदान की गई। नियमित औषधीय फुट-बाथ, विस्तृत फुट-केयर रूटीन और चोटों के उपचार से उसकी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है। अब वह आराम से चल-फिर पाती है। मिया अब रिया के साथ रहती है। मिया अब रिया नामक एक अन्य हथिनी के साथ रहती है, जिसे उसी सर्कस से बचाया गया था। दोनों हथिनियां एक-दूसरे की संगति में शांतिपूर्ण दिन बिताती हैं। टहलना, धूल में लोटना और मौसमी व्यंजनों का आनंद लेना इनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा कि मिया की यात्रा दर्शाती है कि समर्पित देखभाल से किसी भी पीड़ित हाथी का जीवन बदला जा सकता है। सह-संस्थापक गीता शेषमणि ने मिया की शुरुआत की झिझक और आज के आत्मविश्वास का उल्लेख करते हुए इसे "एक शांत और सुरक्षित जीवन की सच्ची बहाली" बताया। पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक डॉ. इलियाराजा के अनुसार, मिया का स्वास्थ्य अब स्थिर है और उसका सुधार संतोषजनक गति से जारी है।