हाथरस में कथित फर्जी मुठभेड़ के मामले में सपा ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है। घटना 9 अक्टूबर को मुरसान कस्बे के व्यापारी अमित अग्रवाल द्वारा दर्ज कराई गई लूटपाट के प्रयास की शिकायत से जुड़ी है। उन्होंने आरोप लगाया था कि दो अज्ञात बदमाशों ने घर में घुसकर लूट का प्रयास किया। 10 अक्टूबर को पुलिस ने अलीगढ़ के इगलास के बडाकलां निवासी सोनू और देवा को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दावा किया था कि यह गिरफ्तारी मुठभेड़ के बाद हुई, जिसमें सोनू के पैर में गोली लगी थी। गिरफ्तार युवकों के परिजनों ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों युवकों को उनके घर से उठाया गया था और सोनू का फर्जी एनकाउंटर किया गया। पुलिस ने दोनों पर लूट के प्रयास और पुलिस पर हमला करने के आरोप में मुकदमे दर्ज कर जेल भेज दिया था। पुलिस की इस कार्रवाई के बाद सवाल उठने लगे थे। परिजनों ने थाने पर हंगामा किया, जबकि विभिन्न संगठनों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर दोषी पुलिस टीम पर कार्रवाई की मांग की। सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने भी इस मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था। इसके बाद तत्कालीन एसओ ममता सिंह और इंस्पेक्टर मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया था। परिजनों का कहना था कि यह मामला खाद के पैसे के लेनदेन के विवाद का था। पुलिस ने बाद में दोनों मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी। न्यायालय के आदेश पर दो दिन पहले दोनों युवकों को रिहा कर दिया गया। निर्दोष युवकों को पुलिस ने कर लिया अरेस्ट.... अब इस मामले में सपा ने सरकार को घेरा है। सपा ने एक पोस्ट में कहा है कि "फेक एनकाउंटर, फर्जी मुठभेड़ करने में माहिर भाजपा सरकार की पुलिस और भाजपा सरकार की कारस्तानी हाथरस में सामने आई है। दो युवकों को पकड़कर एक के पैर में गोली मार दी और दोनों को अरेस्ट कर लिया, जबकि दोनों युवक निर्दोष थे, कोई दोष नहीं था, कोई क्राइम हिस्ट्री नहीं थी।" सपा ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में फर्जी मुठभेड़, गिरफ्तारी और झूठे मुकदमे दर्ज करने जैसी कार्यवाहियां लगातार चल रही हैं।