लखनऊ में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और भारतीय भाषा मंच अवध प्रांत द्वारा प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी हिंदी पखवाड़ा (14 से 28 सितंबर) मनाया जा रहा है। इसी क्रम में 17 सितंबर को इंदिरा नगर स्थित ज्ञान गुरुकुलम में उत्सव का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर 'एक राष्ट्र, एक नाम भारत', 'चरित्र निर्माण एवं व्यक्तित्व का समग्र विकास' और 'हिंदी भाषा की व्यापकता, संभावनाएं एवं चुनौतियां' जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर संगोष्ठी आयोजित हुई। कार्यक्रम में एकल अभियान के राष्ट्रीय संगठन प्रभारी माधवेन्द्र सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। भारतीय भाषा प्रतिष्ठापन राष्ट्रीय परिषद् के अध्यक्ष एवं पूर्व पुलिस महानिदेशक महेश चंद्र द्विवेदी और बीरबल साहनी पुराविज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. महेश जी. ठक्कर विशिष्ट अतिथि थे। अवध प्रांत संयोजक प्रमिल द्विवेदी ने स्वागत उद्बोधन दिया। 10 लाख हस्ताक्षर राष्ट्रपति को याचिका सौंपी जाएगी प्रमिल द्विवेदी ने 'एक राष्ट्र, एक नाम: भारत' मुहिम के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य संविधान के अनुच्छेद 1 में संशोधन कर केवल 'भारत' नाम को सरकारी स्तर पर मान्यता दिलाना है। इसके लिए देशभर से 10 लाख हस्ताक्षर जुटाकर राष्ट्रपति को याचिका सौंपी जाएगी, जिसमें विद्यालयों, विश्वविद्यालयों और सामाजिक संगठनों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही माधवेन्द्र सिंह ने हिंदी के प्रसार के लिए आत्मसम्मान और इसके अधिक प्रयोग को आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी का बढ़ता प्रभाव, राष्ट्रभाषा की मान्यता का अभाव और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सीमित उपस्थिति हिंदी के समक्ष प्रमुख चुनौतियां हैं। विशिष्ट अतिथि महेश चंद्र द्विवेदी ने हिंदी की वैश्विक स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। उन्होंने बताया कि 150 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही हैं। प्रो. महेश जी. ठक्कर ने विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में हिंदी की बढ़ती उपयोगिता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति और तकनीकी शब्दावली आयोग जैसे संस्थान हिंदी को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस अवसर पर प्रदेशभर से आए शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों, लेखकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।